नई दिल्ली 15 सितंबर 2025
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम पारिवारिक विवाद मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि यदि पत्नी अपनी असली आय या आर्थिक स्थिति को छुपाती है और अदालत को गुमराह करती है, तो वह भरण-पोषण (Maintenance) की हकदार नहीं होगी।
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पति और पत्नी दोनों की जिम्मेदारी है कि वे अदालत को अपनी आय और संपत्ति की पूरी सच्चाई बताएं। अगर कोई पक्ष तथ्यों को छिपाकर लाभ लेने की कोशिश करता है, तो अदालत उसे राहत देने से इंकार कर सकती है।
हालांकि, अदालत ने यह भी जोड़ा कि बच्चों का अधिकार सर्वोपरि है। पिता की जिम्मेदारी अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, स्वास्थ्य और परवरिश को लेकर हमेशा बनी रहती है। चाहे पति-पत्नी के बीच विवाद हो या पत्नी की आय से जुड़ी जानकारी छिपाई गई हो, बच्चों का भरण-पोषण किसी भी सूरत में प्रभावित नहीं होना चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि बच्चों के खर्च का बोझ केवल पत्नी पर नहीं छोड़ा जा सकता। पिता का दायित्व है कि वह अपने बच्चों की सभी जरूरतों को पूरा करे और उन्हें किसी भी तरह की कमी का सामना न करना पड़े।
इस फैसले से यह संदेश गया है कि अदालतें झूठ और धोखे को बर्दाश्त नहीं करेंगी, लेकिन बच्चों के अधिकार और उनके भविष्य की सुरक्षा हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।