पटना 20 सितंबर 2025
बिहार की राजनीति में चुनावी सरगर्मी अब चरम पर पहुँच चुकी है। विपक्षी खेमे में लंबे समय से चल रही अटकलों और अंदाज़ों पर आज एक बड़ा मोड़ आया है। कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि दूसरा कोई नहीं, तेजस्वी यादव ही महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे। इस ऐलान के साथ ही विपक्षी खेमे में हलचल और राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है। लंबे समय से बिहार की सियासत में चल रही चर्चाओं पर विराम लगते दिख रहा है और जनता के बीच यह संदेश साफ तौर पर गया है कि महागठबंधन अब एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरेगा।
महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद पहले ही तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा बनाने की मांग कर चुकी थी। अब कांग्रेस का समर्थन मिलने के बाद उनकी दावेदारी और मजबूत हो गई है। यह फैसला साफ तौर पर विपक्षी खेमे की एकजुटता और रणनीतिक स्पष्टता को दर्शाता है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि महागठबंधन का यह कदम भाजपा-जेडीयू गठबंधन को चुनौती देने के लिए रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है। विपक्ष अब केवल विरोध नहीं बल्कि संगठित और निर्णायक हमला करने की स्थिति में है, जिससे सत्ता पक्ष को अपनी चुनावी रणनीति पर गंभीरता से विचार करना होगा।
तेजस्वी यादव लगातार मौजूदा नीतीश सरकार को बेरोज़गारी, पलायन, शिक्षा व्यवस्था और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर घेरते रहे हैं। उनके इन मुद्दों पर किए गए हमले अब कांग्रेस के समर्थन के बाद और धार पकड़ गए हैं। अखिलेश प्रसाद सिंह के बयान से यह साफ हो गया है कि विपक्ष चुनाव में नीतीश कुमार और भाजपा की साझा सरकार पर सीधे हमले की रणनीति बनाएगा। इसके साथ ही महागठबंधन यह संदेश भी देना चाहता है कि जनता और मतदाता अब किसी भ्रम में नहीं हैं – गठबंधन पूरी तरह से एकजुट और स्पष्ट रूप से अपने मुख्यमंत्री चेहरे के साथ चुनाव लड़ रहा है।
भाजपा-जेडीयू गठबंधन के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है। सत्ता पक्ष अब न केवल तेजस्वी यादव की लोकप्रियता और विपक्षी एकजुटता का सामना करेगा, बल्कि चुनावी रणनीति को और जटिल परिस्थितियों में तैयार करना होगा। तेजस्वी यादव का चेहरा अब महागठबंधन की ताकत और चुनावी पहचान का प्रतीक बन गया है। यह साफ संकेत है कि चुनाव का मुकाबला अब तेजस्वी यादव बनाम नीतीश कुमार के बीच केंद्रित होगा और जनता के लिए यह निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।
हालांकि कांग्रेस के अन्य नेताओं ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन अखिलेश प्रसाद सिंह का यह बयान विपक्ष की रणनीति का शुरुआती ऐलान माना जा रहा है। इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है और आगामी चुनावी युद्ध की तस्वीर अब पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है। विपक्षी गठबंधन अब एकजुट होकर मैदान में उतर चुका है और जनता, कार्यकर्ता तथा राजनीतिक दल इस ऐलान के असर को नजदीक से देख रहे हैं।