लखनऊ, 7 सितंबर 2025
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने एक बार फिर राजनीतिक हलकों में तहलका मचा दिया है। उन्होंने खुलासा किया कि 2012 के चुनावों के दौरान उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए अमित शाह ने दिल्ली बुलाकर ऑफर दिया था। इस बयान ने न केवल सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि भाजपा और सपा के बीच के पुराने घटनाक्रमों पर भी नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
शिवपाल यादव ने इंटरव्यू में बताया कि यह ऑफर 2012 विधानसभा चुनाव के समय आया था। भाजपा के शीर्ष नेता उन्हें पार्टी में शामिल करने के लिए तैयार थे, और उन्हें राजनीतिक पोस्ट और चुनावी अवसर देने की पेशकश भी की गई थी। हालांकि, शिवपाल यादव ने स्पष्ट कहा कि उन्होंने इस ऑफर को स्वीकार नहीं किया और समाजवादी पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह खुलासा दर्शाता है कि 2012 के चुनावों में भाजपा ने सपा के भीतर दरार डालने की कोशिशें की थीं। शिवपाल यादव के बयान से यह भी साफ होता है कि भारतीय राजनीति में सत्ता और प्रभाव के खेल में नेताओं को समय-समय पर ऑफर और लुभावनी पेशकशें दी जाती रही हैं।
इस बयान के बाद सपा और भाजपा के बीच सियासी बहस तेज हो गई है। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि यह केवल राजनीतिक बयानबाजी और मीडिया टॉक है, लेकिन विपक्षी दल इसे भाजपा की चाल और सपा पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देख रहे हैं। इस खुलासे ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को भी भाजपा की साजिश और सियासी चालों पर निशाना साधने का मौका दे दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि शिवपाल यादव का यह बयान न केवल राजनीतिक इतिहास को याद दिलाता है, बल्कि आगामी चुनावों और गठबंधन समीकरणों को लेकर भी सियासी हलचल तेज करने वाला साबित होगा। यह खुलासा यह संकेत देता है कि भारतीय राजनीति में नेताओं के बीच ऑफर और दोस्ती-बनाम-दुश्मनी की जटिलताएँ हमेशा मौजूद रहती हैं।
शिवपाल यादव के इस बयान ने भाजपा और सपा दोनों को राजनीतिक दबाव में डाल दिया है, और यह साफ कर दिया है कि राजनीतिक गठबंधन और सत्ता की लड़ाई में हर कदम महत्वपूर्ण और संवेदनशील होता है।