लंदन 3 अक्टूबर 2025
गाज़ा में मानवीय मदद ले जा रहे जहाज़ों के काफिले (फ़्लोटिला) को इज़राइली नौसेना ने बीच समुद्र में रोक दिया। इसके बाद दुनिया के कई देशों में विरोध की लहर उठ गई है। लोग सड़कों पर उतरकर इज़राइल की कार्रवाई की निंदा कर रहे हैं और “गाज़ा को आज़ाद करो” जैसे नारे लगा रहे हैं।
यह फ़्लोटिला गाज़ा पर लगी नाकाबंदी तोड़ने के लिए भेजा गया था। इसमें करीब 40 से ज्यादा नावें और 450 कार्यकर्ता शामिल थे। इनमें मशहूर स्वीडिश एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग भी थीं। लेकिन इज़राइल ने इन नावों को अंतरराष्ट्रीय पानी में ही रोक लिया और कहा कि गाज़ा में मदद “सुरक्षित रास्तों” से ही भेजी जाएगी।
यूरोप, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका और कई देशों में लोग इज़राइल के इस कदम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका ने तो यहाँ तक कहा कि फ्लोटिला में शामिल सभी कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किया जाए। मलेशिया, कोलंबिया और कई अन्य देशों ने भी इज़राइल की कार्रवाई को “मानवता के खिलाफ अपराध” बताया।
इज़राइल ने सभी नावों को अपने बंदरगाह की तरफ मोड़ दिया है और कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया है। इससे गाज़ा के लिए राहत सामग्री का सीधा रास्ता फिर से बंद हो गया है।
गाज़ा की जनता पहले से ही युद्ध, गरीबी और भूख से जूझ रही है। इस फ्लोटिला को उम्मीद की किरण माना जा रहा था। लेकिन अब दुनिया के सामने बड़ा सवाल है — क्या गाज़ा तक मदद पहुँचने दी जाएगी या इज़राइल की नाकाबंदी यूं ही जारी रहेगी?