नई दिल्ली 16 सितम्बर 2025
एक बार एक छोटे से गाँव में एक साधारण लोहे की बिस्किट थी। यह दिखने में बेहद सामान्य थी – न चमकती, न भव्य, बस एक साधारण 1000 ग्राम की लोहे की बिस्किट। अगर आप इसे बाजार में रखते, तो इसकी कीमत मात्र 65 रुपए होती। लेकिन, जैसा कि अक्सर होता है, हर साधारण चीज़ में एक छिपी हुई संभावनाएँ होती हैं – बस उसे पहचानने वाला चाहिए।
एक लोहार ने इसे उठाया और सोचा, “अगर मैं इससे घोड़े की नाल बनाऊँ, तो यह काम आ सकता है।” और उसने किया। लोहे की बिस्किट ने एक नया रूप लिया और इसकी कीमत बढ़कर 500 रुपए हो गई। साधारण धातु से काम की चीज़ बनने में इतना अंतर था।
फिर एक दर्ज़ी आया। उसने सोचा, “अगर मैं इसे सिलाई की सुई बना दूँ, तो किसी की जिंदगी बदल सकती है।” और लोहे की बिस्किट ने एक नन्हीं सुई का रूप धारण किया, जिसकी कीमत 40,000 रुपए हो गई। यह केवल लोहे का टुकड़ा नहीं था, बल्कि उपयोगिता और सटीकता की मिसाल बन गया।
कुछ साल बाद एक घड़ी बनाने वाला आया। उसने इसे घड़ी के स्प्रिंग और गियर में बदल दिया। अब यह साधारण लोहे का टुकड़ा नहीं रहा, बल्कि 40 लाख रुपए के मशीनरी का हिस्सा बन गया। लोग देख कर हैरान थे कि एक सामान्य बिस्किट ने इतनी कीमत पाई।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। एक युवा वैज्ञानिक ने इसे हाथ में लिया और प्रिसिशन लेज़र पार्ट्स बनाए – वही पार्ट्स जो लिथोग्राफी और अत्याधुनिक तकनीक में इस्तेमाल होते हैं। अब इसकी कीमत 1 करोड़ रुपए तक पहुँच गई। साधारण लोहे का टुकड़ा एक अंतरराष्ट्रीय तकनीकी अम्बार बन गया।
यह लोहे की बिस्किट हमें एक बहुत बड़ा संदेश देती है – आपकी असली कीमत इस बात में नहीं है कि आप किससे बने हैं। आपकी असली कीमत इस बात में है कि आप अपने आपको सबसे बेहतर क्या बना सकते हैं। साधारण से असाधारण बनने का रास्ता केवल आपके दृष्टिकोण, मेहनत और लगन से तय होता है।
जैसे लोहे की बिस्किट से करोड़ों का पार्ट बन सकता है, वैसे ही आप भी अपने जीवन में साधारण क्षमताओं को निखार कर असाधारण सफलता प्राप्त कर सकते हैं। याद रखिए – दुनिया में हर कोई एक साधारण लोहे की बिस्किट है। लेकिन वही चमकता है, जो खुद को आकार देने की कला जानता है।
तो उठिए, अपने भीतर छिपी क्षमता को पहचानिए और अपने जीवन की बिस्किट को करोड़ों की कीमत देने वाला करिए। आपकी असली कीमत – यही है।