मोदी सरकार ने शिक्षा खर्च आधा कर भारत को अंधकार युग में धकेला” — प्रशांत भूषण
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर शिक्षा नीति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को लेकर करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि “कोठारी आयोग ने देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 6% शिक्षा पर खर्च करने की सिफारिश की थी, लेकिन मोदी सरकार ने इसे घटाकर मात्र 2.5% कर दिया है।”
भूषण ने तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी “वैज्ञानिक सोच की जगह अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं।” उन्होंने कहा — “कभी वह कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन जैसी कोई चीज नहीं है, तो कभी दावा करते हैं कि बादल रडार को ब्लॉक कर देते हैं। अब ऐसे में बच्चों के पास ‘व्हाट्सएप ज्ञान’ लेने के अलावा और बचा भी क्या है?”
भूषण के मुताबिक, यह सोच भारत को वैज्ञानिक और शैक्षणिक रूप से पीछे धकेल रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि “अगर शिक्षा पर पर्याप्त निवेश और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर जोर नहीं दिया गया, तो देश सचमुच अंधकार युग में चला जाएगा।”
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी के ‘हवा से ऑक्सीजन निकालने’ और ‘नाले की गैस से चाय बनाने’ जैसे बयानों पर पहले भी सोशल मीडिया पर हंसी और आलोचना दोनों हुई थी। राहुल गांधी ने भी 2020 में मोदी के एक वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा था — “देश के लिए असली खतरा ये नहीं है कि प्रधानमंत्री समझते नहीं हैं, असली खतरा ये है कि उनके आस-पास के लोग उन्हें बताते भी नहीं हैं।”
इस वीडियो के बाद ट्विटर पर लोगों ने मजेदार मीम्स बनाते हुए मोदी के “विज्ञान ज्ञान” पर खूब चुटकियां ली थीं। किसी ने लिखा — “अगर हर घर की टोंटी पर टरबाइन लगा दी जाए तो पानी के साथ ऑक्सीजन भी मिलेगी”, तो किसी ने कहा — “मूदी: मैं हवा से ऑक्सीजन खींच सकता हूं, ऑल शॉक्ड — मूदी रॉक्स!”
अब प्रशांत भूषण ने भी इसी तर्ज पर प्रधानमंत्री की कथित ‘वैज्ञानिक समझ’ पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि “मोदी राज में तर्क की जगह प्रचार और शिक्षा की जगह अंधभक्ति ने ले ली है।” “देश को आगे ले जाने के लिए ज्ञान, अनुसंधान और आलोचनात्मक सोच की ज़रूरत है — न कि ‘WhatsApp यूनिवर्सिटी’ की।” — प्रशांत भूषण