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दिल्ली: पत्नी पर शक और टूटे रिश्ते ने ली जान, जेब से मिले दो नोट पढ़कर पुलिस रह गई सन्न

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नई दिल्ली 1 नवंबर 2025

दिल्ली के रोहिणी इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। रविवार सुबह एक पार्क में 35 वर्षीय व्यक्ति का शव पेड़ से लटका हुआ मिला। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब शव की तलाशी ली, तो उसकी जेब से दो नोट बरामद हुए, जिनकी पंक्तियाँ पढ़कर जांच अधिकारी भी हैरान रह गए। दोनों नोटों में उस व्यक्ति ने अपने टूटे हुए रिश्ते, पत्नी के कथित अफेयर और जीवन से हताशा का दर्द उकेरा था।

स्थानीय लोगों ने सुबह-सुबह पार्क में लटकते हुए शव को देखा और तुरंत पुलिस को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और शव को नीचे उतारा गया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि मृतक का नाम रफीक (परिवर्तित नाम) था और वह पास के इलाके में मजदूरी करता था। बताया जा रहा है कि बीते कुछ महीनों से उसका अपनी पत्नी के साथ झगड़ा चल रहा था। पत्नी ने कुछ दिन पहले बच्चों के साथ घर छोड़ दिया था, जिससे वह मानसिक रूप से बेहद परेशान था।

जेब से मिले दोनों नोटों में उसने साफ तौर पर लिखा था कि “वह अब किसी और के साथ रहना चाहती है… मैं अब यह सब सहन नहीं कर पा रहा हूं।” एक अन्य पंक्ति में उसने लिखा, “मेरा किसी से झगड़ा नहीं, मेरी मौत का कोई जिम्मेदार नहीं, बस अब और जीने की ताकत नहीं बची।” इन शब्दों ने यह स्पष्ट कर दिया कि उसके भीतर निराशा और असुरक्षा की भावना किस हद तक गहरी हो चुकी थी।

पुलिस ने घटनास्थल से सबूत इकट्ठा किए और मामला धारा 174 CrPC (आत्महत्या) के तहत दर्ज कर लिया है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, और उसके परिजनों को सूचित कर दिया गया है। हालांकि पुलिस ने किसी बाहरी साजिश या जबरन दबाव के संकेत नहीं पाए हैं, लेकिन घरेलू विवाद और पत्नी के कथित संबंधों के शक को इस आत्महत्या का संभावित कारण माना जा रहा है।

यह घटना एक गहरी सामाजिक चिंता को जन्म देती है — टूटते रिश्ते और मानसिक तनाव किस तरह आदमी को अंदर से तोड़ देते हैं। समाज में अक्सर पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, जबकि वे भी भावनात्मक टूटन से गुजरते हैं। यह आत्महत्या सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि एक सामाजिक ताने-बाने का सवाल भी उठाती है, जहाँ संवाद की कमी और संदेह का ज़हर जीवन तक खत्म कर देता है।

पुलिस अधिकारियों ने अपील की है कि ऐसे किसी भी तनाव या अवसाद की स्थिति में लोग तुरंत 181 या 112 हेल्पलाइन, या किसी भी मनोवैज्ञानिक सहायता केंद्र से संपर्क करें। एक संवाद, एक समझ — शायद ऐसी किसी और ज़िंदगी को बचा सके।

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