मोदी-नीतीश के पकौड़ा–रील जोड़ी का अंत समय — 20 साल की बरबादी का हिसाब लेगा बिहार: कांग्रेस
बिहार की राजनीतिक जमीन इन दिनों बेहद तप रही है और इसी तपिश में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पटना से लेकर राजा पाकर तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अब तक का सबसे तीखा हमला बोला। खड़गे ने कहा कि मोदी-नीतीश की यह जोड़ी सिर्फ जुमलों, फोटोशूट, रोड शो और चुनावी नाटक से बिहार को छलती रही है। युवाओं को रोजगार देने के बजाय कभी “पकौड़ा तलो” और अब “रील बनाओ” जैसी सलाह देकर उनके सपनों का उपहास उड़ाया गया। मोदी सरकार की नीतियों ने नौजवानों को रोजगार नहीं, निराशा दी है; और भरोसा नहीं, झटके दिए हैं। खड़गे ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अब युवा सिर्फ तालियां बजाने वाले दर्शक नहीं — हिसाब मांगने वाले जागरूक मतदाता हैं। खड़गे का संदेश दो टूक था — मोदी-नीतीश की पकौड़ा–रील सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है… और जनता रिजल्ट लिखने को तैयार बैठी है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने पटना में मोदी के रोड शो का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जहां जाते हैं, वहां बस उनका चेहरा, उनके कटआउट और उनका प्रचार दिखता है। नीतीश कुमार न कहीं दिखते हैं, न गिने जाते हैं। यह साफ संकेत है कि मोदी का मिशन नीतीश की कुर्सी बचाना नहीं, बल्कि उन्हें डुबोकर खुद का आदमी सिंहासन पर बैठाना है। खड़गे ने कहा कि मोदी-नीतीश की जोड़ी ने 20 साल में शासन किया — यदि इस दौरान बिहार में पलायन, बेरोजगारी, गरीबी और शिक्षा की बदहाली नहीं बदली तो आने वाले सालों में इनका क्या चमत्कार हो जाएगा? जनता अब इस राजनीतिक ठगी को समझ चुकी है।
खड़गे ने अपनी सभा में जोर देकर कहा कि इस सरकार ने लोकतंत्र को राह से भटका दिया है। जो सवाल पूछता है, वही देशद्रोही बना दिया जाता है। संविधान और लोकतांत्रिक अधिकारों पर लगातार चोट की जा रही है। किसान आज भी अपनी फसलों के दाम के लिए सड़कों पर संघर्षरत हैं, महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है, और दलित-पिछड़ों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। बिहार आज भी पलायन की राजधानी बना हुआ है — लाखों लोग रोज़ मजबूरी में अपना घर छोड़ते हैं, लेकिन सत्ता में बैठे लोग बदलाव की बात नहीं, केवल विपक्ष को गाली देने में अपना समय खर्च करते हैं।

खड़गे ने कहा कि बिहार मॉडेल नहीं — धोखा मॉडेल लागू किया गया है। वोट लेने के लिए मोदी-नीतीश ‘जंगलराज’ की कहानी दोहराते हैं, जबकि 20 साल सत्ता में रहते हुए भी वे इस कथित वनराज को खत्म न कर सके। उन्होंने सवाल किया — अगर जंगलराज था तो कौन-सा जानवर पिछले 20 साल से शासन कर रहा है? भाजपा-जेडीयू ने बिहार को डरा-डरा कर वोट लिया है, लेकिन अब यह चाल नहीं चलेगी। अब जनता उनकी सत्ता की साजिश नहीं, अपनी पीड़ा की सच्चाई देख रही है।
सभा के अंत में खड़गे की दहाड़ गूंज उठी — “अब बिहार डरने वाला नहीं, जवाब देने वाला है!” युवाओं की बेरोजगारी, किसानों की बदहाली, दलितों-पिछड़ों का दर्द — इन सबका हिसाब इस बार के चुनाव में मोदी-नीतीश से लिया जाएगा। 20 साल बहुत हुए। अब बिहार कह रहा है — “जुमले नहीं, नौकरी चाहिए। रोड शो नहीं, हक़ चाहिए। नेताओं का चेहरा नहीं, बिहार का भविष्य चाहिए।”
 

 


