दिल्ली की राजनीति में गरमाहट बढ़ गई है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शुक्रवार को बीजेपी पर बड़ा हमला बोला और आरोप लगाया कि वोट चोरी के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा यासीन मलिक के हलफनामे को टूलकिट बना रही है। खेड़ा ने कहा कि बीजेपी ने selectively लीक करके डॉ. मनमोहन सिंह और यूपीए की छवि खराब करने की कोशिश की है।
मनमोहन सिंह की शिष्टता पर क्यों सवाल?
पवन खेड़ा ने साफ कहा कि किसी प्रधानमंत्री—चाहे वो डॉ. मनमोहन सिंह हों—का शांति वार्ता का दावा करने वाले व्यक्ति को शिष्टाचार दिखाना कोई अपराध नहीं है। उन्होंने पूछा कि भाजपा किस आधार पर इसे देशद्रोह का रंग देने की कोशिश कर रही है।
चौंकाने वाले सवाल कांग्रेस की ओर से
कांग्रेस प्रवक्ता ने भाजपा और आरएसएस पर सीधे सवाल दागे:
- 2011 में आरएसएस यासीन मलिक से किस हैसियत से मिल रही थी, जब बीजेपी सत्ता में भी नहीं थी?
- भाजपा-आरएसएस से जुड़े विवेकानंद फाउंडेशन का नेतृत्व यासीन मलिक से क्यों बातचीत कर रहा था?
- क्या यह सच है कि वाजपेयी सरकार के दौर में यासीन मलिक को किसी मध्यस्थ के जरिए धीरूभाई अंबानी से फोन पर बात करवाई गई थी?
वाजपेयी और संवाद की राजनीति
खेड़ा ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि 2007 में जब यासीन मलिक “सफ़र-ए-आज़ादी” शुरू करने वाले थे और गिरफ्तार कर लिए गए थे, तब अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद हस्तक्षेप करके यूपीए सरकार से मार्च की अनुमति दिलवाई थी।
उन्होंने कहा कि वाजपेयी जी से लेकर मनमोहन सिंह जी तक, सरकारों की नीति संवाद और सुलह पर आधारित रही है। अगर डॉ. सिंह पर सवाल उठते हैं तो भाजपा को वाजपेयी जी की हुर्रियत नेताओं के साथ तस्वीरों और अडवाणी जी की कराची में जिन्ना की मजार पर श्रद्धांजलि देने की व्याख्या भी करनी चाहिए।
वोट चोरी का भूत और भाजपा की बेचैनी
पवन खेड़ा ने कहा—“आज भाजपा वोट चोरी से ध्यान भटकाने के लिए यासीन मलिक का सहारा ले रही है। लेकिन अब टूलकिट की राजनीति के दिन खत्म हो गए हैं। वोट चोरी का भूत आपके कंधों से उतरने वाला नहीं है।”
कुल मिलाकर कांग्रेस ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है और वोट चोरी बहस को यासीन मलिक विवाद से जोड़ने की भाजपा की कोशिश को राजनीतिक चाल करार दिया है।