वाशिंगटन/अंकारा, 26 सितंबर 2025 —
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और तुर्की के राष्ट्रपति रेजब तैप एर्दोगन की व्हाइट हाउस में हुई बैठक के दौरान रूस-तुर्की ऊर्जा संबंध सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा। ट्रम्प ने साफ तौर पर एर्दोगन से कहा कि तुर्की को तुरंत रूस से तेल की खरीद बंद करनी चाहिए, क्योंकि यह कदम यूक्रेन युद्ध में मास्को को आर्थिक सहारा दे रहा है।
ट्रम्प का कड़ा संदेश
ट्रम्प ने प्रेस से बातचीत में कहा, “मैंने राष्ट्रपति एर्दोगन से स्पष्ट कहा कि जब तक रूस यूक्रेन पर हमला जारी रखेगा, तब तक किसी भी देश द्वारा रूस से तेल खरीदना उसे ताकत देने जैसा है। तुर्की को इस पर गंभीरता से कदम उठाना होगा।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि रूस की अर्थव्यवस्था पहले से ही पश्चिमी प्रतिबंधों के बोझ तले दब रही है और तुर्की अगर तेल खरीद बंद करता है, तो इसका बड़ा असर पड़ेगा।
F-35 सौदे पर भी चर्चा
बैठक में F-35 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति का मुद्दा भी उठा। तुर्की को पहले इस सौदे से बाहर कर दिया गया था क्योंकि उसने रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदी थी। हालांकि, ट्रम्प ने संकेत दिए कि यदि तुर्की सहयोग दिखाता है और रूस से दूरी बनाता है, तो अमेरिका F-35 कार्यक्रम में तुर्की की वापसी पर विचार कर सकता है।
एर्दोगन की स्थिति
तुर्की, NATO का सदस्य होते हुए भी लंबे समय से रूस पर ऊर्जा निर्भर है। काला सागर और भूमध्यसागर में तुर्की की भौगोलिक स्थिति उसे ऊर्जा संतुलन में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाती है। सूत्रों का कहना है कि एर्दोगन ने अमेरिका की बात सुनी, लेकिन तुर्की के लिए रूस से ऊर्जा खरीद बंद करना आसान नहीं होगा, क्योंकि घरेलू ज़रूरतें और कूटनीतिक संतुलन दोनों जुड़े हैं।
अंतरराष्ट्रीय असर
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प का यह दबाव NATO के भीतर एक संदेश है कि रूस को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के लिए सभी सदस्य देशों को एकजुट होकर कदम उठाना होगा। अगर तुर्की सचमुच रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है, तो यह मास्को के लिए बड़ी आर्थिक चोट साबित हो सकती है।