नई दिल्ली, 28 जुलाई 2025 – संसद के मानसून सत्र में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर तीखी बहस देखने को मिली। एक ओर जहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में सरकार का पक्ष रखा, वहीं कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने विपक्ष की ओर से हमलावर रुख अपनाते हुए कहा, “सरकार को आज सच्चाई बतानी ही होगी।” इस पूरे घटनाक्रम ने राष्ट्रीय राजनीति में सुरक्षा और आतंकी हमलों से जुड़ी पारदर्शिता को केंद्र में ला दिया है।
इस बहस से ठीक पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का एक इंटरव्यू चर्चा का विषय बन गया, जिसमें उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार के पास यह पुख्ता सबूत हैं कि पहाalgam हमले के आतंकवादी पाकिस्तान से ही आए थे? उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अब तक कोई ठोस जानकारी सार्वजनिक नहीं की है और सरकार इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है। उनके बयान से विवाद खड़ा हो गया और भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि यह कांग्रेस की “पाकिस्तान को क्लीन चिट देने की आदत” को दर्शाता है।
इस पर भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर हमला करते हुए कहा, “कांग्रेस एक बार फिर पाकिस्तान के पक्ष में खड़ी दिखाई देती है — इस बार पहलगाम आतंकी हमले के बाद।” वहीं, चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने बचाव में कहा कि “बिना पूरा इंटरव्यू देखे टिप्पणी करना अनुचित है।”
इस बीच, शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत ने भी चिदंबरम के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को इस हमले की ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा, “400 किलोमीटर भीतर तक आतंकियों का घुस आना, और उनका अब तक पकड़ा न जाना केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में गृह मंत्रालय की बड़ी चूक है।”
वहीं, सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के लिए हम सेना के शौर्य को सलाम करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि पहाalgam जैसे आतंकी हमले बार-बार कैसे हो रहे हैं? सरकार यह बताने से बच रही है कि हमलावर कहां गए, क्यों नहीं पकड़े गए?”
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए थे, जिसके जवाब में भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। अब इस अभियान को NCERT की कक्षा 3 से 12 तक की किताबों में शामिल करने की तैयारी चल रही है, ताकि आने वाली पीढ़ी को देश की सुरक्षा कार्रवाईयों की जानकारी दी जा सके।
लोकसभा की कार्यसूची में इस विषय को विशेष चर्चा के लिए शामिल किया गया था, जिससे यह स्पष्ट है कि सरकार इस ऑपरेशन को न केवल रणनीतिक, बल्कि जन-चेतना के स्तर पर भी महत्व देना चाहती है। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस हमले से जुड़े तथ्यों को साझा करने में पारदर्शिता नहीं बरत रही है।
इस चर्चा ने एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकी हमलों की जांच और जिम्मेदारी तय करने जैसे संवेदनशील मुद्दों को जनचर्चा के केंद्र में ला दिया है। आने वाले दिनों में यह देखा जाना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार और विपक्ष इन सवालों पर किसी साझा रुख पर पहुंच पाते हैं या यह बहस और भी तीखी होती चली जाएगी।