राज्यसभा में पिछले हफ्ते CISF जवानों की तैनाती को लेकर मचा सियासी बवाल अब और गहराता दिख रहा है। आज विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उपसभापति हरिवंश को पत्र लिखकर इस कार्रवाई की तीखी आलोचना की है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन और संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बताया है।
खड़गे ने पत्र में सवाल उठाया है कि जब सांसद जनहित के मुद्दों पर विरोध दर्ज करा रहे थे, तब CISF के जवानों को वेल में भेजना क्या उचित था? उन्होंने लिखा, “हमने यह कल भी देखा और आज भी। क्या संसद अब इतनी गिर गई है?” उन्होंने स्पष्ट किया कि भविष्य में ऐसा दोहराया जाना पूरी तरह से अस्वीकार्य होगा।
इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच X पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “आप उन्हें किसी भी नाम से पुकारिए, लेकिन सच्चाई यह है कि वे सभी CISF से थे।” उन्होंने इसे संसद का अपमान बताया और कहा कि खड़गे का यह सवाल बिल्कुल वाजिब है कि क्या अब राज्यसभा पर केंद्रीय गृहमंत्री का सीधा नियंत्रण हो गया है?
मोदी सरकार की ओर से भले ही कोई आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति न आई हो, लेकिन विपक्ष का दावा है कि सरकार ने परोक्ष रूप से यह स्वीकार कर लिया है कि जवान CISF के ही थे।
अब इस घटनाक्रम ने संसद की कार्यवाही की निष्पक्षता, स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा को लेकर गहन बहस को जन्म दे दिया है। विपक्ष इसे “नियंत्रण की राजनीति” और “लोकतंत्र के गले में फंदा” बता रहा है।