नई दिल्ली
29 जुलाई 2025
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर जारी बहस के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार आतंकवाद से लड़ने का श्रेय तो लेना चाहती है, लेकिन सुरक्षा चूक, नागरिकों की मौत और युद्धविराम जैसे गंभीर विषयों पर कोई जवाबदेही नहीं दिखाती।
“आपने युद्ध का श्रेय ले लिया, पर क्यों नहीं बताया 26 लोग मरे कैसे?”
प्रियंका गांधी ने सबसे पहले 22 अप्रैल को पहलगाम के बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने सवाल पूछा, “अगर कश्मीर में आतंकवाद खत्म हो गया है, तो फिर बायसरन घाटी में आतंकवादी कैसे पहुंचे? क्या सरकार को नहीं पता था कि वहां हजारों लोग जाते हैं? जब सुरक्षा नहीं थी तो लोग भगवान के भरोसे थे या सरकार के?”
“अमेरिका ने युद्ध रुकवाया, भारत खुद क्यों नहीं बोला?”
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर कटाक्ष करते हुए कहा, “इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि हमारी सेना ने युद्ध नहीं रोका, बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने युद्धविराम की घोषणा की। क्या भारत इतना कमजोर हो गया है कि कोई और हमारी लड़ाई रोक दे?”
“सिर्फ मेरी मां के आंसू गिनते हैं, पर जवाब कोई नहीं देता”
भावुक होते हुए उन्होंने अपने पिता राजीव गांधी की शहादत का ज़िक्र किया और कहा, “गृह मंत्री कहते हैं मेरी मां के आंसू गिरे। जब मेरे पिता की हत्या हुई, मेरी मां की उम्र 44 साल थी। वह आंसू उस पीड़ा के थे जिसे आप समझ नहीं सकते। आज आप हमसे जवाब नहीं देते, बस दर्द भुनाते हैं।”
“क्या यही ‘नॉर्मल कश्मीर’ है?”
केंद्र सरकार द्वारा बार-बार कश्मीर को ‘सामान्य’ बताए जाने पर प्रियंका ने सवाल उठाया, “अगर कश्मीर सामान्य है तो फिर 26 नागरिकों की हत्या कैसे हो गई? सरकार प्रचार में कहती है सब शांत है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और है।”
“सरकार में आम लोगों के लिए कोई जगह नहीं”
उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि आम नागरिकों को सरकार ने भगवान के भरोसे छोड़ दिया, “इस सदन में बैठे नेताओं को Z+ सुरक्षा मिली है, लेकिन जो लोग बायसरन गए थे, उन्हें कोई सुरक्षा नहीं दी गई। शुभम द्विवेदी की पत्नी ने अपनी आंखों के सामने पूरी दुनिया उजड़ती देखी। क्या यही है सरकार की ज़िम्मेदारी?”
“राजनीति से ऊपर उठिए, पीड़ितों को ‘भारतीय’ समझिए”
प्रियंका ने जब पीड़ितों को “भारतीय” कहा, तो सत्ता पक्ष के कुछ सांसदों ने उन्हें “हिंदू” कहा। इस पर प्रियंका ने पलटवार करते हुए कहा, “वे भारतीय थे, इंसान थे। धर्म देखकर शोक नहीं मनाया जाता। आप राजनीति कर रहे हैं, हम इंसानियत की बात कर रहे हैं।”
प्रियंका गांधी का यह भाषण संसद में अब तक का सबसे भावनात्मक और आक्रोशपूर्ण भाषणों में से एक रहा। जहां उन्होंने भारतीय सेना के पराक्रम की सराहना की, वहीं केंद्र सरकार की चुप्पी, राजनीतिक प्रचार और सुरक्षा चूक पर तीखे सवाल उठाए।
संसद के मानसून सत्र में आज एक बार फिर यह साबित हो गया कि सिर्फ भाषणों से जवाबदेही नहीं निभाई जा सकती। देश को जवाब चाहिए — और जवाबदेही भी।