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मुंबई में पेट्रोल-डीजल वाहनों पर संभावित प्रतिबंध: स्वच्छ हवा की ओर पहला गंभीर कदम

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जनवरी 2025 के अंतिम सप्ताह में महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई जैसे भीड़भाड़ और प्रदूषण से जूझते महानगर में पर्यावरण सुधार की दिशा में एक महत्वाकांक्षी और ऐतिहासिक पहल की ओर कदम बढ़ाया। सरकार द्वारा गठित सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति इस बात पर विचार कर रही है कि क्या पेट्रोल और डीज़ल जैसे जीवाश्म ईंधनों पर चलने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंधित किया जा सकता है। यह प्रस्ताव उस दिशा में एक नीतिगत क्रांति के रूप में देखा जा रहा है, जो न केवल मुंबई, बल्कि देश के अन्य शहरों के लिए भी संदर्भ बिंदु बन सकता है। 

मुंबई की गिनती भारत के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में होती है। शहर की सड़कों पर दौड़ते लाखों वाहनटैक्सी, बसें, दोपहिया और निजी गाड़ियाँहर दिन टनों विषैले धुएँ को हवा में घोलते हैं। PM2.5 और NOx जैसे प्रदूषक तत्वों की उच्च सांद्रता के कारण शहर के लाखों नागरिक, विशेषकर बच्चे और बुज़ुर्ग, श्वसन संबंधी बीमारियों के जोखिम में जी रहे हैं। ऐसे में यह प्रस्ताव केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य की रक्षा और शहर को रहने योग्य बनाए रखने का दायित्वपूर्ण प्रयास है। 

समिति न केवल वाहनों के संभावित प्रतिबंध पर काम कर रही है, बल्कि यह इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की दिशा में भी गंभीरता से विचार कर रही है। इसमें चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का सघन विस्तार, सार्वजनिक परिवहन के विद्युतीकरण और EV खरीद पर सब्सिडी व प्रोत्साहन जैसे कदम शामिल हैं। साथ ही, समिति एक संगठित और आधुनिक पार्किंग नीति पर भी मंथन कर रही है, जिससे सड़कों पर वाहनों का दबाव कम हो और नागरिकों को बेहतर विकल्प मिल सकें। 

यह पहल न केवल पर्यावरणीय लाभ लेकर आएगी, बल्कि शहरी जीवन की गुणवत्ता, स्वास्थ्य, और अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगी। यह रिपोर्ट तैयार होने के बाद महाराष्ट्र सरकार के पास देश के पहले जीवाश्म ईंधन मुक्त महानगर की दिशा में पहल करने का अवसर होगा, जो भारत की अंतरराष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप भी होगा। 

मुंबई की हवा में सुधार लाने का यह प्रयास अगर सही दिशा में आगे बढ़ा, तो यह भारत के अन्य महानगरोंदिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई के लिए भी एक प्रेरणास्रोत और नीतिगत मॉडल बन सकता है। इस पहल को जनता, वाहन निर्माता और पर्यावरणविदों का समर्थन मिलने पर यह कहना गलत नहीं होगा कि मुंबई जल्द ही प्रदूषण से समाधान की ओर एक ऐतिहासिक मोड़ ले सकती है। 

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