काठमांडू, 9 सितंबर 2025
नेपाल में राजनीतिक और सामाजिक संकट चरम पर पहुंच चुका है, जहां प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल के इस्तीफों के बाद भी देश की स्थिति बिगड़ती जा रही है। काठमांडू सहित देश के बड़े हिस्सों में भारी विद्रोह और हिंसा देखने को मिल रही है, जिसमें राष्ट्रपति भवन, मंत्रियों के आवास, और सरकारी कार्यालयों में आगजनी, लूटपाट, और तोड़फोड़ हुई है। प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल की पत्नी को भी गंभीर रूप से घायल कर दिया, जिनकी बाद में मौत हो गई। बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट के चलते युवाओं, खासकर जनरेशन Z में गहरा असंतोष है, जो सोशल मीडिया प्रतिबंध के बाद और अधिक भड़क उठी है। इस विद्रोह ने नेपाल को सत्ता शून्यता की स्थिति में पहुंचा दिया है, और अगर इसे तत्काल संभाला नहीं गया तो देश गृहयुद्ध के कगार पर पहुंच सकता है।
राजधानी में हिंसक विरोध प्रदर्शन
नेपाल की राजधानी काठमांडू और अन्य प्रमुख शहरों में हालात इतने तनावपूर्ण हो गए हैं कि उन्हें रणभूमि की तरह कहा जा रहा है। राष्ट्रपति भवन पर भीड़ ने हमला किया और उसे आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, लाठीचार्ज किया और कर्फ्यू लगाया, लेकिन उग्र प्रदर्शनकारियों को काबू करना मुश्किल साबित हुआ। सड़कें टायर जलाने से धूं-धूं कर रही हैं और प्रदर्शनकारी सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी कर रहे हैं। इस तरह की हिंसा से सरकारी तंत्र पूरी तरह प्रभावित हो गया है।
पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी की मौत
इस हिंसक माहौल में सबसे संवेदनशील घटना पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल की पत्नी की मौत थी, जो उनकी घर पर हुए हमले में गंभीर रूप से झुलस गई थीं। उनकी मृत्यु ने देश में गहरी संवेदनाएं जगाई हैं और विद्रोह की बर्बरता को उजागर किया है। यह घटना राजनीतिक अस्थिरता को और भी बढ़ावा दे रही है और व्यापक चिंता पैदा कर रही है कि यह देश में गंभीर गृहयुद्ध जैसा स्थिति पैदा कर सकती है।
राजनीतिक शून्यता और खतरे
दोनों सत्ता प्रमुखों के इस्तीफे के बावजूद नेपाल में कोई स्थिर सरकार नहीं बन पाई है। इस स्थिति में युवा पीढ़ी, विशेषकर जनरेशन Z, केवल सरकार परिवर्तन नहीं बल्कि पूरी राजनीतिक व्यवस्था में व्यापक सुधार चाहती है। यह विद्रोह अब सत्ता के खिलाफ नहीं बल्कि राजनीतिक ढांचे के खिलाफ एक बड़े सामाजिक आंदोलन का स्वरूप ले चुका है। राजनीतिक विशेषज्ञ इसे इतिहास का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक और सामाजिक विद्रोह मान रहे हैं, जिसका नेपाल के भविष्य पर गहरा असर पड़ सकता है। यदि शीघ्र कार्रवाई न हुई तो देश एक बड़े राजनीतिक संकट या गृहयुद्ध की ओर जा सकता है।
इस पूरे संकट के बीच नेपाल की स्थिरता और लोकतंत्र की सुरक्षा एक बड़ा प्रश्नचिन्ह बन गया है, और विश्व समुदाय की भी नजरें इस संकट पर टिकी हैं, जो नेपाल की स्थिति को और भी नाजुक बना रहा है।
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