अहमदाबाद, 12 सितंबर 2025
गुजरात की राजनीति में हलचल मचाते हुए अदालत ने भाजपा नेता और पूर्व पाटीदार आंदोलनकारी हार्दिक पटेल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया है। यह मामला वर्ष 2015 में हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़ा है, जिसमें हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे थे।
अदालत का आदेश
सूत्रों के मुताबिक, अहमदाबाद की एक स्थानीय अदालत ने यह वारंट उस वक्त जारी किया जब हार्दिक पटेल निर्धारित तारीख पर सुनवाई में पेश नहीं हुए। कोर्ट ने पहले भी कई बार समन भेजा था, लेकिन पेशी न होने के कारण अब गैर-जमानती वारंट जारी करने का फैसला लिया गया।
पाटीदार आंदोलन की पृष्ठभूमि
2015 में हार्दिक पटेल ने पाटीदार समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए बड़े आंदोलन की अगुवाई की थी। इस दौरान राज्यभर में हिंसा भड़की, कई जगह आगजनी और तोड़फोड़ हुई और दर्जनों लोग मारे गए। इन्हीं मामलों में से एक केस में हार्दिक पटेल आरोपी बनाए गए थे।
हार्दिक पटेल का राजनीतिक सफर
आंदोलन से उभरकर हार्दिक पटेल ने कांग्रेस का दामन थामा था, लेकिन बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली। भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने खुद को “नई राजनीति” का चेहरा बताया और पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाई। अब अदालत का यह आदेश उनके लिए राजनीतिक और कानूनी दोनों ही मुश्किलें खड़ा कर सकता है।
विपक्ष का हमला
गुजरात कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने वारंट को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है। विपक्ष का कहना है कि भाजपा ने हार्दिक पटेल को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया और अब उनके पुराने मामलों का बोझ सामने आ रहा है।
अगला कदम
अदालत के आदेश के बाद पुलिस को हार्दिक पटेल को गिरफ्तार कर पेश करने का निर्देश दिया गया है। अब देखना होगा कि हार्दिक पटेल अदालत में सरेंडर करते हैं या गिरफ्तारी की कार्रवाई का सामना करते हैं।