जयपुर-अजमेर हाईवे मंगलवार देर रात ज्वालामुखी बन गया जब एलपीजी सिलेंडरों से भरा एक ट्रक हादसे का शिकार हो गया और देखते ही देखते पूरा क्षेत्र आग के समंदर में तब्दील हो गया। हादसा इतना भयानक था कि 40 से ज्यादा सिलेंडरों में धमाके हुए और आग की लपटें सैकड़ों फीट ऊपर तक उठती दिखाई दीं। पूरा इलाका धमाकों से कांप उठा, सड़कों पर अफरातफरी मच गई और कई किलोमीटर तक जाम लग गया। कुल 120 गैस सिलेंडर सुरक्षित पाए गए। इन्हें हिंदुस्तान पेट्रोलियम की टीम ने सभी सुरक्षा उपायों और प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मौके से हटा दिया और पूरे क्षेत्र को सैनिटाइज किया, ऐसा जयपुर कलेक्टर डॉ. जितेंद्र सोनी ने बताया।
स्थानीय लोगों के मुताबिक धमाकों की आवाज़ें इतनी तीव्र थीं कि आस-पास के गांवों के लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। शुक्र है 120 सिलेंडर किसी तरह बचा लिए गए वरना तबाही बेपनाह होती। हादसा जयपुर से करीब 70 किलोमीटर दूर बगरू और किशनगढ़ के बीच हुआ, जब एलपीजी सिलेंडर ले जा रहा ट्रक एक अन्य वाहन से टकरा गया।
टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि ट्रक पलट गया और कुछ ही सेकंड में उसमें आग लग गई। आग ने सिलेंडरों को अपनी चपेट में ले लिया और फिर एक के बाद एक विस्फोट होते चले गए। चश्मदीदों ने बताया कि धमाकों की आवाज़ें लगातार आती रहीं, जैसे किसी युद्ध क्षेत्र में बम फट रहे हों। भीषण आग की वजह से हाईवे को तुरंत बंद कर दिया गया और ट्रैफिक को दूसरे मार्गों पर डायवर्ट किया गया।
दमकल विभाग को आग पर काबू पाने में लगभग चार घंटे से ज़्यादा का समय लग गया। जयपुर, किशनगढ़, अजमेर और आस-पास के इलाकों से 12 से ज़्यादा दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। हालांकि आग की तीव्रता इतनी ज़्यादा थी कि दमकलकर्मियों को 200 मीटर की दूरी से पानी के फव्वारे छोड़ने पड़े। देर रात तक राहत और बचाव कार्य जारी रहा। प्रशासन ने आसपास के ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा और क्षेत्र को पूरी तरह सील कर दिया गया।
हालांकि, अभी तक किसी जनहानि की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन ट्रक चालक और सहायक के झुलसने की आशंका जताई जा रही है। प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। राजस्थान पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच में ट्रक की अत्यधिक रफ्तार और तकनीकी खराबी को संभावित कारण माना जा रहा है। पुलिस ने कहा कि अगर ट्रक के सुरक्षा मानकों की अनदेखी पाई गई तो ट्रांसपोर्ट कंपनी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि हाईवे पर अक्सर खतरनाक सामान से लदे ट्रक तेज़ रफ्तार में चलते हैं और पुलिस न तो इनकी जांच करती है, न ही सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करती है। कई ग्रामीणों ने बताया कि हादसे के बाद शुरू के आधे घंटे तक कोई राहत दल नहीं पहुंचा, जिससे आग ने भयावह रूप ले लिया।
राज्य सरकार ने हादसे की गंभीरता को देखते हुए एक उच्चस्तरीय जांच टीम गठित करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि हादसे के कारणों की गहराई से जांच की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि भविष्य में खतरनाक सामग्री ले जाने वाले वाहनों के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल को और सख्त किया जाएगा।
यह हादसा सिर्फ एक ट्रक दुर्घटना नहीं, बल्कि हमारी व्यवस्था की ढिलाई का प्रतीक है। देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्रतिदिन हजारों टन ज्वलनशील पदार्थों की ढुलाई होती है, लेकिन सुरक्षा इंतज़ाम सिर्फ कागजों में सीमित हैं। जयपुर-अजमेर हादसे ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है — क्या भारत के हाईवे सिर्फ रफ्तार के लिए बने हैं या जीवन की सुरक्षा के लिए भी? आग बुझ चुकी है, लेकिन उसके धुएं में कई सवाल अब भी तैर रहे हैं — आखिर कब तक लापरवाही की इस आग में आम आदमी की जान जलती रहेगी?