2025 का 15 अगस्त इतिहास के उन दिनों में दर्ज हो गया, जब पूरे भारत ने एक साथ सांस ली — आत्मगौरव की, जिम्मेदारी की, और सपनों को सच करने की। राजधानी दिल्ली से लेकर सुदूर गांवों तक, हिमालय की चोटियों से लेकर समुद्री द्वीपों तक, इस शुक्रवार का सूरज जब उगा, तो उसके साथ हर कोने में तिरंगा लहराता दिखा और भारत माता की जय के नारों से पूरा देश गूंज उठा। लाल किले की प्राचीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 7:30 बजे तिरंगा फहराया, तो 21 तोपों की सलामी और बच्चों के नयनाभिराम प्रदर्शन के साथ एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। इस बार समारोह केवल परंपरा नहीं, एक नया संकल्प बनकर आया था — “2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना”। उनका भाषण हर भारतीय की रगों में चेतना भरता गया — गांव, गरीब, जवान, किसान, नारी और नवाचार का वह पंचशील एजेंडा, जो अब भविष्य की नींव बन चुका है।
लाल किले पर हुई भव्य परेड में थल सेना, वायुसेना और नौसेना के टुकड़ियों ने देश की शक्ति और अनुशासन का अद्वितीय प्रदर्शन किया। ड्रोन लाइट शो, लेज़र इमेजिंग और ‘हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम ने इसे डिजिटल युग के सबसे समृद्ध राष्ट्रीय उत्सव में बदल दिया। दिल्ली का इंडिया गेट तिरंगे की रोशनी से नहाया हुआ था, वहीं मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया और चेन्नई के मरीना बीच पर भी सजीव झांकियों और रंगारंग कार्यक्रमों की रौनक देखने लायक थी। लखनऊ, भोपाल, कोलकाता, जयपुर, श्रीनगर, गुवाहाटी, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में भी राजभवन से लेकर स्कूल के प्रांगण तक देशभक्ति की एकजुट आवाज गूंज रही थी। इस बार कई राज्यों में मुख्यमंत्रियों ने तिरंगा फहराकर स्थानीय वीरों को सम्मानित किया, और देश के बहादुरों की कहानियाँ मंच पर जीवंत हो उठीं।
छात्रों और युवाओं की भागीदारी इस बार की विशेषता रही। पूरे भारत में लाखों स्कूली बच्चों ने प्रभात फेरी निकाली, राष्ट्रगीत गाया, कविताएँ प्रस्तुत कीं और झांकी प्रदर्शन किए। ‘आजादी के 78 साल’ की झांकी में भारत के स्वतंत्रता संग्राम, संविधान निर्माण, चंद्रयान-3 से लेकर नए भारत की वैज्ञानिक तरक्की तक की कालजयी यात्रा को दिखाया गया। छोटे शहरों और गांवों में पंचायत भवनों से लेकर मंदिरों और गुरुद्वारों तक, हर जगह देशप्रेम की एक ही भावना बह रही थी। बुजुर्गों ने अपने परपोते-पोतियों को आजादी की कहानियाँ सुनाईं और युवा डिजिटल भारत के नए निर्माण का सपना बुनते रहे। दूरदराज के क्षेत्रों — मिजोरम, लद्दाख, अंडमान-निकोबार और अरुणाचल में भी तिरंगे की लहर ने यह जता दिया कि भारत एक भाव है, भूगोल नहीं।
देश के लगभग हर प्रमुख स्मारक और सरकारी इमारतें तिरंगे की थीम पर सजी हैं। दिल्ली के राजपथ पर एक ऐतिहासिक ड्रोन शो हुआ जिसमें हज़ारों ड्रोन ने आकाश में अशोक चक्र, भारत माता, सोलर मिशन, चंद्रयान, भारतीय किसान और आजादी के वीरों की झलकियां बनाई — वह दृश्य इतना जादुई था कि आंखें नम और छाती गर्व से चौड़ी हो गई। डिजिटल स्क्रीन और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर यह दृश्य देखते ही देखते लाखों-करोड़ों तक पहुंच गया और ‘#IndiaAt78’ ट्रेंड करने लगा। देश की विविधता में एकता को एक बार फिर जीवंत देखा गया। मराठी, पंजाबी, तमिल, मैथिली, मलयालम, उर्दू, बांग्ला, कन्नड़, संस्कृत — हर भाषा में देशभक्ति की कविताएं और गीत गूंजे।
इस बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्वतंत्रता दिवस समारोहों की गूंज सुनी गई। लंदन, न्यूयॉर्क, टोरंटो, दुबई, सिंगापुर, सिडनी और टोक्यो में भारतीय दूतावासों ने झंडा फहराया और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए। प्रवासी भारतीय समुदाय ने भी बैंड परेड, कवि सम्मेलन, फ़ूड फेस्टिवल और भारतीय परिधानों में तिरंगा यात्रा निकालकर यह संदेश दिया कि भारत जहां भी है, दिल वहीं है। अमेरिका के शिकागो और सैन फ्रांसिस्को में हुई भारत दिवस परेड में 100 से अधिक संगठनों ने भाग लिया और हज़ारों की संख्या में लोग सड़कों पर उमड़ पड़े।
आज जब भारत 78 साल का हुआ है, तब यह केवल आंकड़ा नहीं बल्कि एक आह्वान है — एक राष्ट्र के रूप में हम कितनी दूर आ गए और अब कितनी दूर जाना है। आत्मनिर्भरता, डिजिटल समृद्धि, और वैश्विक कूटनीति में भारत ने जो कदम बढ़ाए हैं, वो अब स्थायी हो चले हैं। भारतीय युवाओं में अब न केवल रोजगार और शिक्षा की चिंता है, बल्कि स्टार्टअप, जलवायु चेतना और वैश्विक नेतृत्व की भावना भी प्रबल हो चुकी है। इस बार स्वतंत्रता दिवस ने यह साफ कर दिया कि भारत की आत्मा अब सिर्फ गांवों में नहीं बसती, बल्कि वह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), अंतरिक्ष यात्रा, वैश्विक मंचों और ओलंपिक की दौड़ में भी गूंज रही है।
15 अगस्त 2025 — यह दिन सिर्फ तिरंगा फहराने का नहीं था, यह दिन उस सोच को सलाम करने का था जिसने भारत को आज़ाद किया, और उस अगली पीढ़ी को प्रेरित करने का था जो इसे विकसित, सशक्त और मानवीय बनाएगी। बच्चों की आंखों में जो उम्मीद थी, सैनिकों की चाल में जो गर्व था, नेताओं के भाषण में जो संकल्प था — वो सब मिलकर एक संदेश दे रहे थे: “भारत सिर्फ भूगोल नहीं, यह भावना है — और यह भावना अब दुनिया को बदलने निकली है।”