कांग्रेस ने सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। साथ ही साथ स्वतंत्रता दिवस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भारतीय लोकतंत्र के सामने मतदाता सूची में हेरफेर की गंभीर चुनौती को उजागर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दल “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन” (SIR) के जरिए विरोधी वोटों को हटा रहा है, जिसमें जीवित लोगों को मृत घोषित करना और मतदाता सूचियों में गड़बड़ी शामिल है। खड़गे ने केंद्रीय चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया, जिसने मतदाता सूची सार्वजनिक करने का आदेश दिया। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से बूथ-स्तर पर मतदाता सूचियों की जांच करने और गड़बड़ियों, जैसे नाम हटाने, बाहरी लोगों को जोड़ने या अतिरिक्त सूचियों के दुरुपयोग, का पर्दाफाश करने की अपील की। खड़गे ने इसे लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई बताते हुए राहुल गांधी की 17 अगस्त से सासाराम, बिहार में शुरू होने वाली ‘वोट अधिकार यात्रा’ को समर्थन देने का आह्वान किया।
स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित ध्वजारोहण समारोह के दौरान एक अनोखा नज़ारा देखने को मिला, जब झंडा फहराने के तुरंत बाद बारिश शुरू हो गई, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी तिरंगे के सामने भीगते हुए पूरी निष्ठा से राष्ट्रगान गाते रहे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी इस अवसर पर मौजूद थे। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में राहुल गांधी बारिश की तेज़ बूंदों के बीच राष्ट्रगान की मुद्रा में खड़े नज़र आ रहे हैं, जिसे समर्थक उनकी देशभक्ति और प्रतिबद्धता का प्रतीक बता रहे हैं।
कांग्रेस नेता लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने X पर लिखा है कि महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान से मिली यह आज़ादी, एक ऐसे भारत के निर्माण का संकल्प है – जहां सत्य और समानता की नींव पर न्याय हो, और हर दिल में सम्मान और भाईचारा हो। इस अनमोल धरोहर के गौरव और सम्मान की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है। इस बीच, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से दिए भाषण की कड़ी आलोचना की है।
कांग्रेस ने यह साफ कर दिया है कि वह मोदी सरकार को हर मोर्चे पर चुनौती देगी—चाहे वह भाषण में छुपा हुआ एजेंडा हो या सरकारी उपलब्धियों का गलत श्रेय लेना। वहीं, बीजेपी विपक्ष को ‘नकारात्मक राजनीति’ और ‘राष्ट्रीय आयोजनों का बहिष्कार’ करने वाला दल बताकर जनता के सामने पेश करेगी। लेकिन इतना तय है कि यह दिन, जो कभी मतभेदों से ऊपर उठकर देश की उपलब्धियों और भविष्य के संकल्पों का मंच था, अब वैचारिक ध्रुवीकरण का आईना बन गया है।
नेहरू के ‘प्रधान सेवक’ पर कांग्रेस का वार
स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसर पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वैचारिक हमला बोलते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू के 15 अगस्त 1947 के ऐतिहासिक संबोधन का हवाला दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी ने ‘प्रधान सेवक’ शब्द को नेहरू से उधार लेकर खुद को मौलिक बताने की कोशिश की है। उनके अनुसार, यह केवल चुनावी ब्रांडिंग है, सेवा भावना का वास्तविक आचरण नहीं। रमेश का संदेश साफ था—इतिहास को अपनी राजनीतिक मार्केटिंग के लिए तोड़ना-मरोड़ना बंद करें, क्योंकि देश के पहले प्रधानमंत्री ने इस शब्द को न केवल कहा था, बल्कि अपने कार्यकाल में निभाया भी था।
मोदी का भाषण: ‘पुराने जुमले, नई पैकिंग’
कांग्रेस ने सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। साथ ही साथ स्वतंत्रता दिवस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भारतीय लोकतंत्र के सामने मतदाता सूची में हेरफेर की गंभीर चुनौती को उजागर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दल “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन” (SIR) के जरिए विरोधी वोटों को हटा रहा है, जिसमें जीवित लोगों को मृत घोषित करना और मतदाता सूचियों में गड़बड़ी शामिल है। खड़गे ने केंद्रीय चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया, जिसने मतदाता सूची सार्वजनिक करने का आदेश दिया। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से बूथ-स्तर पर मतदाता सूचियों की जांच करने और गड़बड़ियों, जैसे नाम हटाने, बाहरी लोगों को जोड़ने या अतिरिक्त सूचियों के दुरुपयोग, का पर्दाफाश करने की अपील की। खड़गे ने इसे लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई बताते हुए राहुल गांधी की 17 अगस्त से सासाराम, बिहार में शुरू होने वाली ‘वोट अधिकार यात्रा’ को समर्थन देने का आह्वान किया।
स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित ध्वजारोहण समारोह के दौरान एक अनोखा नज़ारा देखने को मिला, जब झंडा फहराने के तुरंत बाद बारिश शुरू हो गई, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी तिरंगे के सामने भीगते हुए पूरी निष्ठा से राष्ट्रगान गाते रहे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी इस अवसर पर मौजूद थे। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में राहुल गांधी बारिश की तेज़ बूंदों के बीच राष्ट्रगान की मुद्रा में खड़े नज़र आ रहे हैं, जिसे समर्थक उनकी देशभक्ति और प्रतिबद्धता का प्रतीक बता रहे हैं।
कांग्रेस नेता लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने X पर लिखा है कि महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान से मिली यह आज़ादी, एक ऐसे भारत के निर्माण का संकल्प है – जहां सत्य और समानता की नींव पर न्याय हो, और हर दिल में सम्मान और भाईचारा हो। इस अनमोल धरोहर के गौरव और सम्मान की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है। इस बीच, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से दिए भाषण की कड़ी आलोचना की है।
कांग्रेस ने यह साफ कर दिया है कि वह मोदी सरकार को हर मोर्चे पर चुनौती देगी—चाहे वह भाषण में छुपा हुआ एजेंडा हो या सरकारी उपलब्धियों का गलत श्रेय लेना। वहीं, बीजेपी विपक्ष को ‘नकारात्मक राजनीति’ और ‘राष्ट्रीय आयोजनों का बहिष्कार’ करने वाला दल बताकर जनता के सामने पेश करेगी। लेकिन इतना तय है कि यह दिन, जो कभी मतभेदों से ऊपर उठकर देश की उपलब्धियों और भविष्य के संकल्पों का मंच था, अब वैचारिक ध्रुवीकरण का आईना बन गया है।
नेहरू के ‘प्रधान सेवक’ पर कांग्रेस का वार
स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसर पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वैचारिक हमला बोलते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू के 15 अगस्त 1947 के ऐतिहासिक संबोधन का हवाला दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी ने ‘प्रधान सेवक’ शब्द को नेहरू से उधार लेकर खुद को मौलिक बताने की कोशिश की है। उनके अनुसार, यह केवल चुनावी ब्रांडिंग है, सेवा भावना का वास्तविक आचरण नहीं। रमेश का संदेश साफ था—इतिहास को अपनी राजनीतिक मार्केटिंग के लिए तोड़ना-मरोड़ना बंद करें, क्योंकि देश के पहले प्रधानमंत्री ने इस शब्द को न केवल कहा था, बल्कि अपने कार्यकाल में निभाया भी था।
मोदी का भाषण: ‘पुराने जुमले, नई पैकिंग’
जयराम रमेश ने लाल किले से दिए गए पीएम मोदी के भाषण को “बासी, पाखंडी, नीरस और चिंताजनक” बताकर पूरी तरह नकार दिया। उनका आरोप था कि ‘विकसित भारत’, ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसे नारे वर्षों से दोहराए जा रहे हैं, पर उनके पीछे ठोस काम का ढांचा नदारद है। उन्होंने तंज कसा कि अगर इन नारों से ही विकास होता, तो आज तक बेरोजगारी और किसान आत्महत्याएं इतिहास बन चुकी होतीं। कांग्रेस के अनुसार, यह भाषण चुनावी प्रचार से ज्यादा कुछ नहीं था—एक तरह से देश के सबसे बड़े मंच से जुमलों का मुफ्त प्रसारण।
सेमीकंडक्टर पर ‘झूठ की फसल’
रमेश ने पीएम मोदी के सेमीकंडक्टर निर्माण के दावों को सीधा-सीधा “बड़ा झूठ” कहा। उन्होंने याद दिलाया कि चंडीगढ़ में सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड (SCL) 1980 के दशक में स्थापित हो चुका था, और वह आज भी कार्यरत है। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने दशकों पुरानी उपलब्धियों को ‘नया आविष्कार’ बताकर जनता को गुमराह किया। यह सिर्फ तकनीकी धोखा नहीं, बल्कि राष्ट्र के वैज्ञानिक इतिहास को अपमानित करने के बराबर है।
किसान और रोजगार: वादों का कब्रिस्तान
कांग्रेस ने बेरोजगारी और किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार को सीधे कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि 2020 के तीन कृषि कानून किसानों पर थोपने की कोशिश थी, और MSP की कानूनी गारंटी आज तक नहीं दी गई। रमेश ने व्यंग्य किया—“प्रधान सेवक” कहने वाला प्रधानमंत्री क्या कभी इन ‘सेवकों’ के खेतों में जाकर देखता है कि उनकी हालत क्या है? बेरोजगारी के मोर्चे पर, कांग्रेस ने इसे ‘विफलता की पराकाष्ठा’ बताया, क्योंकि सरकार आंकड़ों की बाजीगरी से असली तस्वीर छुपा रही है।
आरएसएस का लाल किले से प्रचार?
स्वतंत्रता दिवस के भाषण में आरएसएस का नाम लेने पर कांग्रेस ने इसे “लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना पर हमला” बताया। उनका तर्क था कि यह राष्ट्रीय एकता के मंच का दुरुपयोग है—एक गैर-संवैधानिक संगठन को वैधता देने की कोशिश। कांग्रेस के अनुसार, यह साफ संदेश है कि मोदी सरकार राष्ट्रीय प्रतीकों और राष्ट्रीय आयोजनों को भी संघ की विचारधारा के प्रचार का साधन बना चुकी है।
इतिहास की ‘मिलावट’ पर चुभता तंज
कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल और कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि बीजेपी स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के साथ ‘मिलावट’ कर रही है। उन्होंने कहा कि सावरकर को महात्मा गांधी से ऊपर दिखाना और नेहरू-पटेल जैसे नेताओं को हाशिये पर डालना जानबूझकर की गई ऐतिहासिक तोड़फोड़ है। उनका तीखा बयान—“पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने के बाद अब आप स्वतंत्रता सेनानियों में भी मिलावट करने लगे हैं”—पवन खेड़ा के अलावा कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी X पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
लाल किले से विपक्ष का गायब होना
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के लाल किले से अनुपस्थित रहने पर बीजेपी ने इसे “शर्मनाक” कहा। लेकिन कांग्रेस का जवाब और भी आक्रामक था—उनका दावा था कि यह अनुपस्थिति मौन विरोध थी, क्योंकि लाल किला अब लोकतांत्रिक विमर्श का नहीं, बल्कि राजनीतिक ब्रांडिंग का मंच बन चुका है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह राष्ट्रीय अवसरों को भी पार्टी इवेंट की तरह पेश कर रही है।
‘घुसपैठ’ और डर की राजनीति
पीएम मोदी के भाषण में ‘घुसपैठियों से जनसांख्यिकीय बदलाव’ की चेतावनी पर तृणमूल कांग्रेस ने हमला बोला। सांसद सागरिका घोष ने कहा कि मोदी हर साल नया दुश्मन ढूंढते हैं ताकि बेरोजगारी, महंगाई और शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे असली मुद्दों से जनता का ध्यान हटाया जा सके। विपक्ष का आरोप है कि यह डर की राजनीति है—जहां लोगों को असुरक्षा का एहसास दिलाकर वोट बटोरे जाते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर क्या है 2025 का असली संदेश?
कांग्रेस का कहना है कि हमारी आज़ादी हमारे पुरख़ों के साझे संघर्ष की साझी जीत है, और यदि हमारी नासमझी या लापरवाही से उस पर कोई आंच आती है तो हम अपने पुरख़ों के गुनहगार ठहरेंगे। आज़ादी को मज़बूत करने और कायम रखने का मतलब है कि हम उसके उद्देश्यों, स्वप्नों और मूल्यों को टूटने–लुटने न दें। लेकिन कांग्रेस के अनुसार, आज वही पवित्र दिवस खुलकर दलगत राजनीति का युद्धक्षेत्र बन चुका है। लाल किला, जो कभी स्वतंत्रता संग्राम और लोकतांत्रिक गरिमा का प्रतीक था, अब ऐसा मंच बन गया है जहाँ राष्ट्र के नाम संदेश से ज्यादा पार्टी का एजेंडा और चुनावी नैरेटिव गूंजता है। ‘प्रधान सेवक’ की विनम्रता की कहानी से लेकर आरएसएस का खुला प्रचार, सेमीकंडक्टर जैसी पुरानी उपलब्धियों पर नया ठप्पा मारना, और स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में ‘मिलावट’—हर मुद्दा अब सत्ता और विपक्ष के लिए सियासी हथियार बन चुका है।
2025 का यह परिदृश्य साफ बताता है कि राजनीति अब केवल चुनावी मंचों, रैलियों या टीवी डिबेट तक सीमित नहीं रही; उसने राष्ट्रीय त्योहारों और जनता की साझा स्मृतियों तक को अपने कब्ज़े में ले लिया है, और इस अपहरण में सबसे बड़ा नुकसान उस सामूहिक भावना का है जिसने 15 अगस्त को महज़ एक तारीख नहीं, बल्कि एक भाव, प्रेरणा और संकल्प बना दिया था।