राज्यों के सामूहिक प्रयास से बना सशक्त भारत 15 अगस्त 2025 को जब भारत अपनी आज़ादी के 79 साल पूरे कर रहा है, तब यह आवश्यक है कि हम राष्ट्र निर्माण की उस विराट तस्वीर को समझें जिसमें देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ने अपने-अपने स्तर पर विशेष योगदान दिया है। भारत केवल दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु भर नहीं है, बल्कि यह अरुणाचल से लेकर केरल तक, लद्दाख से लेकर लक्षद्वीप तक फैली हुई ऊर्जा, प्रतिभा और प्रगति की धरती है। हर राज्य ने अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताओं को आधार बनाकर विकास की राह पकड़ी है। आइए इस स्वतंत्रता दिवस पर हम देश के सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के विकास और उत्थान की अद्भुत यात्रा का अवलोकन करें।
उत्तर भारत के राज्य
उत्तर प्रदेश: भारत की जनसंख्या में सर्वाधिक हिस्सेदारी रखने वाला राज्य अब सबसे तेज़ी से आर्थिक विकास कर रहा है। एक्सप्रेसवे की श्रृंखला, डिफेंस कॉरिडोर, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP), काशी-विश्वनाथ धाम और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, प्रदेश को धार्मिक पर्यटन और निवेश का केंद्र बना चुके हैं। MSME क्षेत्र में उत्तर प्रदेश अब देश में अग्रणी बन गया है।
उत्तराखंड: देवभूमि उत्तराखंड ने पर्यटन, योग, हाइड्रोपावर और बागवानी के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए ऑल वेदर रोड, रोपवे, और हैलीपैड सुविधाओं का विकास हुआ है। पलायन रोकने के लिए ‘रिवर्स माइग्रेशन’ की योजनाएं लागू की गई हैं।
पंजाब: कृषि प्रधान राज्य पंजाब अब उद्योग और स्टार्टअप की ओर भी बढ़ रहा है। लुधियाना, मोहाली और अमृतसर जैसे शहरों में टेक्नोलॉजी और फार्मा आधारित इकाइयों का विस्तार हुआ है। कृषकों के लिए फसल विविधीकरण और जैविक खेती पर ज़ोर दिया जा रहा है।
हरियाणा: हरियाणा ने खेल, कृषि और उद्योग तीनों में संतुलित विकास किया है। गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे औद्योगिक हब, अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल विश्वविद्यालय, और जल संरक्षण पर आधारित ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ जैसी योजनाएं राज्य को नई दिशा दे रही हैं।
हिमाचल प्रदेश: हिमालयी प्रदेश हिमाचल ने बागवानी, पर्यटन और जलविद्युत के क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। सेब उत्पादन और ईको टूरिज्म में राज्य अग्रणी है। नई IT नीति और ग्रामीण उद्यमिता पर ज़ोर राज्य को आत्मनिर्भर बना रहा है।
दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र): डिजिटल गवर्नेंस, महिला सुरक्षा, और सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र में दिल्ली ने नए मानक स्थापित किए हैं। दिल्ली मेट्रो का विस्तार, मोहल्ला क्लीनिक मॉडल और ई-वाहन नीति राष्ट्रीय स्तर पर सराही जा रही है।
पूर्वोत्तर भारत: अदृश्य से दृश्यता की ओर
असम: बागानों की भूमि अब औद्योगिक निवेश और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। ब्रह्मपुत्र नदी पर पुल, गुवाहाटी के विकास और चाय निर्यात में वृद्धि से असम ने खुद को प्रगति की मुख्यधारा से जोड़ा है।
अरुणाचल प्रदेश: सीमावर्ती राज्य होने के बावजूद अब यह शिक्षा, सड़कों और रक्षा क्षेत्र में निवेश का केंद्र बन रहा है। ITBP, BRO और सेना के सहयोग से अवसंरचना का तीव्र विकास हो रहा है।
मणिपुर: मणिपुर ने खेलों, विशेष रूप से बॉक्सिंग और वेटलिफ्टिंग में भारत का मान बढ़ाया है। पर्यटन, हस्तशिल्प और महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से सामाजिक सशक्तिकरण हो रहा है।
मिज़ोरम: शिक्षा और सामुदायिक जीवन में मिज़ोरम देश के लिए मिसाल है। कृषि क्षेत्र में जूम खेती को नियंत्रित कर स्थायी कृषि की दिशा में कार्य हो रहा है।
नगालैंड: नगालैंड में सांस्कृतिक पर्यटन, हस्तकला और युवाओं के लिए स्किल डेवेलपमेंट का प्रसार बढ़ा है। डिजिटल इंडिया के तहत इंटरनेट कनेक्टिविटी का विस्तार किया गया है।
त्रिपुरा: त्रिपुरा ने बांस आधारित उद्योग, पर्यटन और राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास में प्रगति की है। भारत-बांग्लादेश व्यापारिक संपर्क का केंद्र बनने की दिशा में कार्य हो रहा है।
मेघालय: राज्य ने जैव विविधता, ऑर्गेनिक कृषि और पर्यटन में शानदार काम किया है। स्कूल एजुकेशन इंडेक्स में भी राज्य की स्थिति सुदृढ़ हुई है।
सिक्किम: देश का पहला पूर्ण जैविक राज्य बनकर सिक्किम ने पर्यावरण और विकास का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। टूरिज्म, हाइड्रोपावर और शिक्षा में राज्य अग्रणी है।
पूर्वी भारत: परंपरा और परिवर्तन का संगम
बिहार: ऐतिहासिक विरासत वाला बिहार अब शिक्षा, सड़क निर्माण, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पुनर्जागरण के दौर में है। ग्रामीण सड़कों की लंबाई, महिला सशक्तिकरण और स्किल ट्रेनिंग में राज्य ने सुधार दिखाया है। नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में बिहार की पहचान बना रहा है।
झारखंड: खनिजों से भरपूर राज्य अब खनन से आगे बढ़कर शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन में भी ध्यान दे रहा है। देवघर में AIIMS, जमशेदपुर में स्टार्टअप इन्क्यूबेशन और पलामू में जल परियोजनाएं बदलाव ला रही हैं।
ओडिशा: ओडिशा ने आपदा प्रबंधन, खनन, मंदिर पर्यटन और महिला नेतृत्व में अनुकरणीय कार्य किया है। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सेवा और मिशन शक्ति जैसी योजनाएं राज्य की सामाजिक प्रगति को दर्शाती हैं। पुरी, भुवनेश्वर और कोणार्क अब अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बन रहे हैं।
पश्चिम बंगाल: बंगाल ने साहित्य, कला, विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। दुर्गापूजा का यूनेस्को में दर्ज होना सांस्कृतिक सशक्तिकरण का प्रमाण है। हावड़ा-खड़गपुर सेक्शन और कोलकाता मेट्रो का विकास, परिवहन की नई धार दे रहा है।
पश्चिम भारत: नवाचार और नव निर्माण का केंद्र
राजस्थान: मरुस्थलीय क्षेत्र अब सौर ऊर्जा, पर्यटन, और जल संरक्षण में अग्रणी बन चुका है। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर जैसे शहर स्मार्ट सिटी की श्रेणी में आ चुके हैं। जल जीवन मिशन, इंदिरा रसोई योजना, और बंजर ज़मीन पर सोलर पैनल खेतों ने विकास को गति दी है।
गुजरात: औद्योगिक प्रगति का पर्याय बन चुका गुजरात अब सेमीकंडक्टर हब, गिफ्ट सिटी और ब्लू इकोनॉमी का केंद्र बन रहा है। गिर के शेरों से लेकर कच्छ के रण तक, राज्य ने पर्यटन में भी नई ऊँचाई हासिल की है।
महाराष्ट्र: मुंबई महानगर क्षेत्र देश की आर्थिक राजधानी है, लेकिन नागपुर, पुणे, नासिक और औरंगाबाद जैसे शहर भी अब औद्योगिक और शैक्षणिक केंद्र बन चुके हैं। समृद्ध कृषि, बुलेट ट्रेन परियोजना और फिल्म इंडस्ट्री राज्य को सर्वांगीण बनाती है।
गोवा: पर्यटन और टिकाऊ विकास का बेहतरीन संतुलन गोवा ने प्रस्तुत किया है। ब्लू इकॉनॉमी, मरीन बायोडायवर्सिटी और ईको-फ्रेंडली ट्रैवल में राज्य ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं।
दक्षिण भारत: प्रौद्योगिकी और परंपरा का संयोग
तमिलनाडु: तमिलनाडु उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य तीनों क्षेत्रों में शीर्ष पर है। चेन्नई, कोयंबटूर, मदुरै और त्रिची जैसे शहरों में IT, ऑटोमोबाइल और टेक्सटाइल उद्योग फल-फूल रहे हैं। कला, मंदिर वास्तुकला और साहित्य में राज्य की पहचान विशिष्ट है।
केरल: स्वास्थ्य, साक्षरता और सामाजिक विकास में केरल हमेशा आगे रहा है। सहकारी आंदोलन, प्रवासी रोजगार, और पर्यटन ने राज्य को आत्मनिर्भर बनाया है। आयुर्वेद आधारित मेडिकल टूरिज्म और हाउसबोट कल्चर वैश्विक पहचान बना चुके हैं।
कर्नाटक: बेंगलुरु विश्व की टेक राजधानी बन चुका है। स्टार्टअप इंडिया, बायोटेक, एयरोस्पेस और रक्षा निर्माण में कर्नाटक अग्रणी है। कावेरी जल प्रबंधन, पर्यटन और शिक्षा में राज्य की नीति प्रेरणादायक है।
आंध्र प्रदेश: अमरावती के रूप में नई राजधानी का निर्माण, समुद्री बंदरगाह, पोलावरम परियोजना और सूचना तकनीक में राज्य की विशेषता है। विशाखापत्तनम और विजयवाड़ा औद्योगिक वाणिज्यिक केंद्र बन चुके हैं।
तेलंगाना: हैदराबाद की पहचान अब केवल चारमीनार नहीं बल्कि बायोफार्मा, IT पार्क और स्टार्टअप्स की बन चुकी है। मिशन भागीरथ, हरिता हरम और टी-हब जैसे प्रोग्रामों ने राज्य को विकास के नये मुकाम पर पहुँचाया है।
आंध्र व तेलंगाना के सीमावर्ती क्षेत्र: संयुक्त संस्कृति और जल संसाधन प्रबंधन की दृष्टि से इन क्षेत्रों में विशेष योजनाएं लागू की गई हैं।
केंद्र शासित प्रदेश: भारत की विविधता के अद्भुत प्रतीक
जम्मू-कश्मीर: अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में अभूतपूर्व निवेश और विकास हुआ है। पर्यटन, सेब निर्यात, रेल संपर्क, और AIIMS व IIT जैसे संस्थान राज्य में नई ऊर्जा भर रहे हैं।
लद्दाख: सीमावर्ती क्षेत्र लद्दाख अब सौर ऊर्जा, पर्वतीय पर्यटन और सामरिक महत्व के आधार पर विकास कर रहा है। बौद्ध संस्कृति और लेह-मनाली हाईवे की सुविधा ने पर्यटन को नया बल दिया है।
चंडीगढ़: नियोजित नगरी के रूप में चंडीगढ़ भारत के लिए शहरी नियोजन का उदाहरण है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत डिजिटल सुविधाएं बढ़ाई गई हैं।
अंडमान-निकोबार द्वीप: यह द्वीपसमूह अब सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डा, इको-टूरिज्म और मत्स्यपालन का केंद्र बन चुका है। पोर्ट ब्लेयर से डिजिटल कनेक्टिविटी की योजना प्रभावी रही है।
लक्षद्वीप: पर्यावरण संरक्षण और समुद्री जीवन की रक्षा के क्षेत्र में लक्षद्वीप ने प्रशंसनीय कार्य किया है। पर्यटन को टिकाऊ रूप देने के लिए नीतियां अपनाई गई हैं।
दादरा-नगर हवेली और दमन-दीव: औद्योगिक विकास, स्वास्थ्य सेवाएं और महिला कल्याण के क्षेत्र में केंद्र सरकार के सहयोग से तेजी से परिवर्तन हो रहा है।
पुडुचेरी: फ्रांसीसी विरासत से समृद्ध पुडुचेरी अब शिक्षा, पर्यटन और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभर रहा है। Auroville और योग आधारित वेलनेस टूरिज्म को बल मिला है।
भारत एक है, अनेक है, श्रेष्ठ है हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ने अपने-अपने भूगोल, संस्कृति और जनशक्ति के अनुसार भारत को समृद्ध बनाया है। यह विविधता ही भारत की ताकत है। आने वाले वर्षों में जब भारत विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर होगा, तब यह समावेशी, संतुलित और समान विकास ही उसकी नींव बनेगा।