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डोनाल्ड ट्रंप ने UNGA में फिर लिया भारत-पाक सीजफायर का श्रेय

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न्यूयॉर्क, संयुक्त राष्ट्र महासभा 23 सितंबर 2025

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति के मंच पर अपनी भूमिका को बड़ा कर पेश करते हुए दावा किया कि उन्होंने पिछले सात महीनों में सात बड़े युद्धों को रुकवाया है। यूएनजीए (UNGA) के 80वें सत्र में बोलते हुए ट्रंप ने कहा कि ये ज़िम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र की थी, लेकिन वास्तविकता यह रही कि उन्हें खुद यह कदम उठाना पड़ा। उन्होंने खुले शब्दों में कहा कि “संयुक्त राष्ट्र की बजाय मुझे यह युद्ध खत्म करवाने पड़े,” और इसी संदर्भ में उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का क्रेडिट भी खुद को दिया।

ट्रंप ने अपने संबोधन में बताया कि जिन युद्धों को उन्होंने रुकवाया, उनमें से कुछ दशकों से चल रहे थे। उनके मुताबिक़, कुछ संघर्ष 28 साल पुराने थे, तो कुछ 31 साल या उससे भी ज़्यादा समय से जारी थे। उन्होंने दावा किया कि उनके प्रयासों से हालात बदले और शांति स्थापित हुई। ट्रंप ने विशेष रूप से यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान जैसे संवेदनशील पड़ोसी देशों के बीच सीजफायर करवाना उनकी अहम उपलब्धियों में से एक रहा। इस बयान से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी भूमिका को फिर से उभारने की कोशिश की और खुद को ‘पीस डील मेकर’ के रूप में प्रस्तुत किया।

अपने भाषण में ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र की क्षमता पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की यह जिम्मेदारी थी कि संघर्ष और युद्धों को खत्म किया जाए, लेकिन यूएन अपने उद्देश्य को पूरा करने में विफल रहा। उनकी मानें तो उन्हें व्यक्तिगत स्तर पर आगे आकर हालात को नियंत्रित करना पड़ा। ट्रंप ने कहा, “अगर मैंने हस्तक्षेप नहीं किया होता तो कई क्षेत्र आज भी युद्ध की आग में झुलस रहे होते।”

भारत-पाक सीजफायर का मुद्दा उठाकर ट्रंप ने एक बार फिर यह संदेश देने की कोशिश की है कि उन्होंने दक्षिण एशिया जैसे संवेदनशील भू-राजनीतिक क्षेत्र में शांति लाने का प्रयास किया। हालांकि, उनके इस दावे पर सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या वास्तव में ट्रंप की पहल पर यह सीजफायर संभव हुआ था या फिर यह दोनों देशों की सैन्य और राजनीतिक परिस्थितियों का नतीजा था। इसके बावजूद, ट्रंप के भाषण ने दुनिया का ध्यान खींचा और यह स्पष्ट कर दिया कि वे खुद को वैश्विक शांति का सूत्रधार बताने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देते।

 

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