वाशिंगटन 4 अक्टूबर 2025
अमेरिका के मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियन डेव चैपेल एक बार फिर अपने तीखे व्यंग्य और विवादास्पद टिप्पणी के चलते सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने अमेरिका और सऊदी अरब की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech) की तुलना करते हुए ऐसा उदाहरण दिया जिसने सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में तीखी बहस छेड़ दी है। चैपेल ने कहा कि “अगर अमेरिका में तुम चार्ली किर्क के बारे में कुछ कहते हो तो तुम्हें नौकरी से निकाला जा सकता है, लेकिन अगर सऊदी अरब में कुछ बोलो तो तुम्हारा सिर भी जा सकता है।” यह बयान उनकी लेटेस्ट कॉमेडी परफॉर्मेंस में आया, जहां वे फ्री स्पीच और रद्द संस्कृति (Cancel Culture) पर बात कर रहे थे।
चैपेल का यह बयान तुरंत वायरल हो गया। उनके समर्थकों का कहना है कि उन्होंने समाज में व्याप्त ‘डबल स्टैंडर्ड’ पर व्यंग्य किया है — जहां अमेरिका अपने आपको लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गढ़ बताता है, वहीं असहमति जताने वालों को ट्रोलिंग, बायकॉट या नौकरी से निकालने जैसी सज़ाएं दी जाती हैं। वहीं उनके आलोचकों का मानना है कि चैपेल ने सऊदी अरब जैसे कट्टर शासन की तुलना अमेरिका से कर ‘सांस्कृतिक और राजनीतिक असंवेदनशीलता’ दिखाई है। कई लोगों ने कहा कि यह तुलना न केवल अनुचित है बल्कि अरब देशों के पीड़ितों के संघर्षों को हल्के में लेने जैसा है।
कॉमेडी मंच पर बोलते हुए चैपेल ने फ्री स्पीच की सीमाओं पर एक बार फिर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आज अमेरिका में “सत्य बोलना भी राजनीतिक बन गया है।” उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि “अगर आप किसी कैंसिल कैंपेन के खिलाफ बोलो, तो आप खुद कैंसिल कर दिए जाते हो।” इस बयान के बाद दर्शकों में हंसी के साथ हैरानी का माहौल था, क्योंकि चैपेल के अंदाज़ में सच्चाई और व्यंग्य दोनों की झलक मिलती है।
अमेरिकी मीडिया ने इस बयान को लेकर अलग-अलग राय दी है। कुछ कॉलमनिस्टों का कहना है कि चैपेल का बयान एक ‘कॉमेडी एक्सपेरिमेंट’ था, जिसमें उन्होंने वैश्विक समाज में अभिव्यक्ति की असमानताओं को उजागर किया। वहीं ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स और फ्री स्पीच एडवोकेट्स ने कहा कि चैपेल का यह बयान लोगों को सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर ‘स्वतंत्रता की सीमा’ कहां तक है।
सऊदी अरब की तुलना अमेरिका से करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रियाएँ आईं। कुछ मध्य-पूर्व विशेषज्ञों ने कहा कि चैपेल ने भले ही व्यंग्य के रूप में यह कहा हो, लेकिन यह टिप्पणी सऊदी शासन की क्रूर वास्तविकता को सामने लाती है। वहीं अमेरिकी दक्षिणपंथी समूहों ने उन पर आरोप लगाया कि वह “रूढ़िवादी विचारधारा को निशाना बना रहे हैं” और जानबूझकर अमेरिका की नकारात्मक छवि पेश कर रहे हैं।
डेव चैपेल पहले भी कई विवादों में रह चुके हैं। उनकी नेटफ्लिक्स स्पेशल “The Closer” को लेकर भी उन्हें ट्रांस समुदाय और लिबरल समूहों से तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा था। बावजूद इसके, चैपेल ने हमेशा कहा है कि “कॉमेडी का काम समाज से सवाल पूछना है, जवाब देना नहीं।” उनके अनुसार, “अगर लोग किसी जोक से असहज महसूस करते हैं, तो इसका मतलब है कि वह जोक सही जगह पर लगा है।”
चैपेल का यह बयान एक बार फिर उस बड़े सवाल को हवा देता है जो हर लोकतंत्र में गूंजता है — क्या अभिव्यक्ति की आज़ादी की कोई सीमा होनी चाहिए? और अगर हाँ, तो कौन तय करेगा कि क्या कहा जा सकता है और क्या नहीं? डेव चैपेल के ताज़ा व्यंग्य ने यह साफ कर दिया है कि अमेरिका में भी “फ्री स्पीच” अब एक कॉमेडी जोक से ज़्यादा कुछ नहीं रह गया — जिसे सुनने पर लोग हँसते भी हैं और डरते भी।