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झारखंड के जंगलों में अवैध खनन से पर्यावरण और जनजातीय आजीविका पर संकट

झारखंड के धनबाद, लोहरदगा, और गढ़वा क्षेत्रों में अवैध खनन एक विकराल समस्या बन चुका है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इन क्षेत्रों में कोयला, बॉक्साइट और लौह अयस्क की खुदाई बिना पर्यावरणीय अनुमति के की जा रही है। इससे जंगलों का क्षरण हो रहा है और जल स्रोत सूखते जा रहे हैं। इस

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छत्तीसगढ़ में हाथियों के लिए जंगल कम, इंसान-वन्यजीव संघर्ष तेज़

छत्तीसगढ़ के जंगलों में लगातार हो रहे अतिक्रमण और कोयला खनन परियोजनाओं के चलते हाथियों के लिए सुरक्षित क्षेत्र कम होते जा रहे हैं। सूरजपुर, कोरबा और जशपुर जिलों में पिछले तीन वर्षों में इंसान-हाथी संघर्ष की घटनाओं में 45% की वृद्धि दर्ज की गई है। हाल ही में एक झुंड ने एक गांव में

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महाराष्ट्र के समुद्र तटों पर प्लास्टिक कचरे का संकट, समुद्री जीवों पर जानलेवा असर

मुंबई, जुहू और अलीबाग जैसे समुद्र तटों पर रोजाना हजारों टन प्लास्टिक का कचरा जमा हो रहा है, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी पर खतरा मंडरा रहा है। सबसे ज्यादा समस्या पॉलीथीन बैग, बोतलें, फोम और सिंगल यूज़ प्लास्टिक की है, जो जल जीवन के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं। समुद्री जीव जैसे डॉल्फिन, कछुए, और

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हिमालयी ग्लेशियर पिघलने की रफ्तार में 30% इजाफा, गंगा-यमुना पर संकट गहराया

हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियरों का पिघलना अब असामान्य गति से हो रहा है। ISRO और भूवैज्ञानिक संस्थानों द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, गंगोत्री, सियाचिन और ज़ांस्कर जैसे ग्लेशियरों की बर्फ 1.5 मीटर प्रतिवर्ष की दर से कम हो रही है। यह दर पिछले दशक की तुलना में 30% अधिक है। इसका सीधा असर भारत

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पूर्वोत्तर भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट पर जल विद्युत परियोजनाओं की मार

पूर्वोत्तर भारत को भारत का ‘ग्रीन गहना’ कहा जाता है, लेकिन यह गहना अब संकट में है। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, और मणिपुर में कई जल विद्युत परियोजनाओं और राजमार्गों के निर्माण कार्य ने यहां की जैव विविधता को बुरी तरह प्रभावित किया है। यहीं पर क्लाउडेड लेपर्ड, लाल पांडा और कई ऑर्किड प्रजातियाँ पाई जाती

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भोपाल में झीलों के सूखने से तापमान में हो रही तेज़ वृद्धि

भोपाल, जो कभी ‘झीलों का शहर’ कहलाता था, अब जल संकट की चपेट में है। अपर और लोअर लेक समेत शहर की 14 में से 9 झीलें या तो सूख चुकी हैं या बुरी तरह प्रदूषित हो गई हैं। इसका असर सिर्फ जल आपूर्ति पर नहीं, बल्कि पूरे शहर के माइक्रो-क्लाइमेट पर पड़ रहा है।

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केरल में जलवायु संकट के कारण पक्षियों की दर्जनों प्रजातियाँ संकट में

केरल के वायनाड, इडुक्की और साइलेंट वैली के जंगलों में पक्षियों की विविधता अब खतरे में है। जैव विविधता बोर्ड की हालिया रिपोर्ट बताती है कि लगभग 12 पक्षी प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं। खासकर ‘ग्रेट हॉर्नबिल’ और ‘नीलगिरी फ्लाईकैचर’ जैसे अद्वितीय पक्षियों का देखना दुर्लभ हो गया है। इस संकट के पीछे

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पश्चिम बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र में बाघों और इंसानों के बीच संघर्ष बढ़ा

सुंदरबन में बाघों और इंसानों के बीच संघर्ष बढ़ता जा रहा है। बाघों के प्राकृतिक आवास में कटौती, बढ़ते समुद्री जलस्तर और मानव घुसपैठ की वजह से ये वन्य जीव अब गांवों की ओर बढ़ने लगे हैं। जुलाई के पहले सप्ताह में एक बाघ ने दो मछुआरों पर हमला किया जिससे उनमें से एक की

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उत्तराखंड में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ीं: जलवायु परिवर्तन की भयावह दस्तक

उत्तराखंड में इस मानसून में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। केवल जुलाई के पहले सप्ताह में ही उत्तरकाशी, चमोली और टिहरी जिलों में 7 से अधिक बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे गांवों का संपर्क कट गया और सड़कों पर यातायात ठप हो गया। भारी बारिश से नदियों

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कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव वनों की कटाई से समुद्री तटों पर कटाव बढ़ा

कर्नाटक के तटीय जिलों में तेजी से हो रही मैंग्रोव वनों की कटाई के कारण समुद्र तटों पर कटाव (coastal erosion) की घटनाएं बढ़ रही हैं। उडुपी, मंगलुरु और कारवार जैसे क्षेत्रों में पहले जो तटस्थ मैंग्रोव जंगल थे, अब वहां रियल एस्टेट, बंदरगाह और पर्यटन की बड़ी परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं। इसका