नई दिल्ली, 12 सितंबर 2025
योग गुरु बाबा रामदेव के सबसे भरोसेमंद सहयोगी और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने अपनी संपत्ति से सबको चौंका दिया है। ताज़ा आकलनों के मुताबिक, आचार्य बालकृष्ण की नेटवर्थ अब ₹24,000 करोड़ से अधिक हो चुकी है। खास बात यह है कि उन्होंने पतंजलि से कभी कोई वेतन नहीं लिया, फिर भी वे भारत के सबसे अमीर उद्योगपतियों की सूची में शामिल हो गए हैं।
नेपाल से हरिद्वार तक का सफर
1972 में नेपाल के सिंदुपालचौक जिले में जन्मे आचार्य बालकृष्ण ने पढ़ाई के बाद आयुर्वेद और जड़ी-बूटियों पर गहन अध्ययन किया। हरिद्वार में बाबा रामदेव से मुलाकात के बाद दोनों ने मिलकर स्वदेशी आंदोलन और आयुर्वेद आधारित व्यापारिक मॉडल की नींव रखी।
पतंजलि की सफलता की कहानी
2006 में शुरू हुई पतंजलि आयुर्वेद ने देखते ही देखते FMCG सेक्टर में धूम मचा दी। विदेशी ब्रांडों के मुकाबले “स्वदेशी” टैग के सहारे पतंजलि ने अरबों का कारोबार खड़ा किया। आज पतंजलि का कारोबार हेल्थकेयर, फूड प्रोडक्ट्स, एजुकेशन और मेडिसिन तक फैला हुआ है।
बिना वेतन के अरबपति
आचार्य बालकृष्ण पतंजलि में सबसे बड़े शेयरधारक हैं। उनके पास कंपनी की करीब 94% हिस्सेदारी है। यही कारण है कि वेतन न लेने के बावजूद उनकी संपत्ति लगातार बढ़ती रही और आज 24,000 करोड़ रुपये के पार पहुँच चुकी है।
बाबा रामदेव का दायां हाथ
पतंजलि की ब्रांडिंग और पब्लिक फिगर बाबा रामदेव रहे हैं, लेकिन कंपनी के असली प्रबंधन, निवेश और विस्तार की जिम्मेदारी आचार्य बालकृष्ण ने संभाली। यही वजह है कि उन्हें “बाबा रामदेव का दायां हाथ” कहा जाता है।
विवादों से भी रहा नाता
आचार्य बालकृष्ण का नाम कई विवादों से भी जुड़ा रहा है। कभी पासपोर्ट मामले को लेकर, तो कभी निवेश और भूमि सौदों को लेकर वे सुर्खियों में रहे। हालांकि इन विवादों का पतंजलि की सफलता पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा।
भविष्य की योजनाएँ
पतंजलि अब हेल्थ टेक, आयुर्वेद रिसर्च और अंतरराष्ट्रीय बाजार में विस्तार पर जोर दे रहा है। आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि “लक्ष्य सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि भारत की प्राचीन परंपराओं को दुनिया तक पहुँचाना है।”