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मासूमों की मौत से हिला देश: छिंदवाड़ा से राजस्थान तक नकली कफ सिरप ने बच्चों की किडनी फेल

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भोपाल/जयपुर | 1 अक्टूबर 2025

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान में बच्चों की रहस्यमयी मौतों ने पूरे देश को झकझोर दिया है। पिछले 15 दिनों में छिंदवाड़ा में 6 मासूमों की मौत हो चुकी है, जिनकी किडनी फेल हो गई। शुरुआती जांच में सामने आया है कि बच्चों को दिए गए कफ सिरप में जहरीले रसायन (डाइइथिलीन ग्लाइकोल – DEG) मिलाए गए हो सकते हैं। यही वजह अब राजस्थान तक फैल चुकी है, जहां सिकर जिले में 5 साल के बच्चे ने संदिग्ध सिरप लेने के बाद दम तोड़ दिया।

बच्चे खांसी-बुखार से लेकर मौत के मुंह तक

डॉक्टरों के अनुसार सभी बच्चे साधारण खांसी-बुखार और सर्दी की शिकायत लेकर अस्पताल आए थे। इलाज में उन्हें कफ सिरप दिया गया। लेकिन कुछ ही दिनों में हालत बिगड़ गई — मूत्र बंद होना, थकान, किडनी फेल होना और फिर मौत। यह लक्षण ठीक वही हैं जो पहले भी भारत से निर्यात हुए नकली सिरप कांड (जैसे गाम्बिया कांड) में सामने आए थे।

जिला प्रशासन में हड़कंप, दवाओं पर बैन

छिंदवाड़ा के कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने तुरंत दो संदिग्ध कफ सिरप ब्रांडों की बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी है। राजस्थान चिकित्सा निगम ने भी 19 बैचों की दवाओं को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। अब राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) ने पानी, खून और दवाओं के नमूने जुटाने शुरू कर दिए हैं ताकि सच सामने आ सके।

कंपनी पर शक, पहले भी आरोपी

जांच में फार्मा कंपनी Kaysons Pharma का नाम सबसे आगे आ रहा है। यह वही कंपनी है जिस पर पहले भी खराब दवाएं सप्लाई करने और अनुबंध तोड़ने के आरोप लगे थे। मीडिया रिपोर्ट्स इसे “सीरियल ऑफेंडर” बता रही हैं। सवाल है कि जब पहले भी इस कंपनी का रिकॉर्ड खराब था तो इसे उत्पादन और वितरण की इजाज़त क्यों मिली? क्या यह नियामक एजेंसियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार का नतीजा नहीं है?

गाम्बिया से भारत तक एक जैसी त्रासदी

यह मामला नया नहीं है। 2022 में अफ्रीकी देश गाम्बिया में भारत निर्मित नकली कफ सिरप से 70 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी। तब भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवालों के घेरे में आई थी। और अब वही त्रासदी अपने देश में — अपने ही मासूम बच्चों की जान ले रही है।

जनता का सवाल: कब होगा कार्रवाई?

मासूमों की मौत ने माता-पिता का आक्रोश फूट पड़ा है। गांव-गांव में मातम पसरा है और लोग पूछ रहे हैं —

आख़िर बच्चों की जान का सौदा किसने किया?

क्यों नकली दवाओं पर सख़्त कार्रवाई नहीं होती?

क्या सरकार और दवा नियामक मासूमों की मौत के दोषी नहीं हैं?

 

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