लखनऊ, 25 सितंबर 2025
समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर के पूर्व विधायक आज़म ख़ान ने जेल में बिताए अपने दिनों की व्यथा सार्वजनिक रूप से साझा की है। जब पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनसे बातचीत के दौरान जेल के अनुभवों और कठिनाइयों के बारे में सवाल पूछा, तो आज़म का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने भावुक लहज़े में कहा कि जेल में रहते हुए उन्हें “पूरी दुनिया में सिर्फ अपनी बीवी का फोन नंबर याद था और वो भी भूल गया।” उनका यह बयान न सिर्फ उनकी निजी पीड़ा को दर्शाता है बल्कि लंबे समय तक जेल में रहने के मानसिक दबाव की भी झलक देता है।
आज़म ख़ान ने कहा कि जेल के माहौल ने उनकी ज़िंदगी को पूरी तरह बदल दिया। वे न तो मोबाइल फोन चला पा रहे हैं और न ही पुराने नंबर याद रह गए हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि जेल में बीते महीनों ने उन्हें भीतर से तोड़ दिया और आज़ादी के बाद सामान्य ज़िंदगी में लौटना उनके लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने अदालत और न्यायपालिका पर भरोसा जताते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अदालत से उन्हें न्याय मिलेगा और उनके ऊपर लगे सभी आरोपों में वे बेदाग़ साबित होंगे।
उनकी यह स्वीकारोक्ति अब राजनीतिक चर्चाओं का हिस्सा बन गई है। समाजवादी पार्टी के समर्थक इसे आज़म ख़ान की सादगी और उनकी मानसिक पीड़ा का प्रतीक मान रहे हैं, जबकि विपक्षी दल इसे राजनीति से प्रेरित भावुकता बताकर सवाल उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस बयान को लेकर बहस छिड़ गई है। कई लोग कह रहे हैं कि सत्ता के दबाव और लंबी कैद ने एक अनुभवी नेता को इस कदर प्रभावित कर दिया कि वे सामान्य जीवन के बुनियादी पहलुओं से भी दूर हो गए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आज़म ख़ान का यह भावुक बयान समाजवादी पार्टी के भीतर सहानुभूति का माहौल बना सकता है और उन्हें पार्टी समर्थकों के बीच और अधिक मानवीय छवि दिला सकता है। वहीं, आलोचकों का कहना है कि आज़म ख़ान का यह दर्द उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर सहानुभूति तो दिला सकता है, लेकिन कानूनी लड़ाइयों और चल रहे मुकदमों से निकलना उनके लिए अभी भी लंबा और कठिन रास्ता रहेगा।