नई दिल्ली 23 सितंबर 2025
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन पर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बड़ी कार्यवाही की है। एजेंसी ने उन कंपनियों की ₹7.44 करोड़ की संपत्तियां अटैच कर दी हैं, जिन्हें जैन “लाभकारी स्वामी” यानी वास्तविक मालिक के तौर पर नियंत्रित कर रहे थे।
कैसे चढ़ा ईडी का शिकंजा
जांच एजेंसी का आरोप है कि मंत्री रहते हुए जैन ने हवाला ऑपरेटरों और फर्जी कंपनियों के जरिए करोड़ों रुपये की हेराफेरी की। कथित रूप से इन पैसों को संपत्तियों और निवेश के रूप में खपाया गया। इन्हीं कंपनियों की चल-अचल संपत्तियों को ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत अटैच कर लिया।
कंपनियों का जाल
ईडी के अनुसार, जिन कंपनियों की संपत्तियां जब्त की गई हैं, वे सीधे जैन के नाम पर दर्ज नहीं थीं, लेकिन उनके वास्तविक मालिक वही थे। इन कंपनियों में शेयर, जमीन और निवेश शामिल हैं। एजेंसी का कहना है कि इस नेटवर्क के जरिए बड़े पैमाने पर काले धन को सफेद करने का प्रयास किया गया।
राजनीतिक बवाल
इस कार्रवाई के बाद राजनीतिक हलकों में बवाल मच गया है। विपक्षी दलों ने आम आदमी पार्टी को घेरते हुए कहा कि “भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का दावा करने वाली पार्टी के नेता खुद बड़े घोटालों में फंसे हैं।” भाजपा ने मांग की कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ें।
AAP का पलटवार
आम आदमी पार्टी ने ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक साजिश बताया है। पार्टी प्रवक्ताओं का कहना है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके विपक्षी नेताओं को बदनाम करने और चुनावी फायदा लेने की कोशिश कर रही है। AAP ने विश्वास जताया कि आरोप अदालत में टिक नहीं पाएंगे।
आगे की जांच
ईडी ने साफ कर दिया है कि जांच अभी जारी है और आने वाले समय में और संपत्तियां भी अटैच की जा सकती हैं। एजेंसी का दावा है कि हवाला लेन-देन और फर्जी कंपनियों का बड़ा नेटवर्क सामने आया है, जिसकी कड़ियां अब खुलकर सामने आ रही हैं।