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अमेरिकी वीज़ा नियमों में बड़ा बदलाव: अब केवल अपने देश में ही देना होगा इंटरव्यू, भारतीय यात्रियों की मुश्किलें बढ़ीं

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नई दिल्ली 9 सितम्बर 

अमेरिका ने वीज़ा इंटरव्यू को लेकर नया नियम लागू कर दिया है, जिससे भारतीय यात्रियों को बड़ा झटका लगा है। अब कोई भी भारतीय आवेदक अमेरिका का वीज़ा लेने के लिए किसी तीसरे देश में जाकर इंटरव्यू नहीं दे पाएगा। इसका मतलब है कि सभी भारतीयों को अब केवल भारत में ही वीज़ा इंटरव्यू देना होगा। इस फैसले से न सिर्फ छात्रों और कामकाजी पेशेवरों की चिंता बढ़ गई है, बल्कि पर्यटकों और बिज़नेस ट्रैवलर्स की योजनाओं पर भी असर पड़ने वाला है।

अब खत्म हुआ ‘थर्ड कंट्री इंटरव्यू’ का विकल्प

अब तक भारतीय नागरिकों को यह सुविधा थी कि अगर भारत में वीज़ा स्लॉट नहीं मिलते, तो वे किसी अन्य देश, जैसे दुबई, सिंगापुर या थाईलैंड जाकर अमेरिकी वीज़ा के लिए आवेदन और इंटरव्यू दे सकते थे। इस विकल्प से उन्हें जल्दी अपॉइंटमेंट मिल जाता था और समय तथा परेशानी से राहत मिलती थी। लेकिन अमेरिकी सरकार ने अब इस व्यवस्था को खत्म कर दिया है।

छात्रों और पेशेवरों पर सबसे ज्यादा असर

हर साल लाखों भारतीय छात्र अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं। वीज़ा प्रक्रिया में देरी पहले से ही उनकी सबसे बड़ी चिंता रहती है। अब ‘थर्ड कंट्री इंटरव्यू’ का विकल्प खत्म होने से उनके लिए मुश्किलें और बढ़ेंगी। इसी तरह आईटी सेक्टर और मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले पेशेवरों को भी समय पर वीज़ा न मिलने का खतरा रहेगा।

क्यों लिया गया यह फैसला?

अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि तीसरे देशों में वीज़ा इंटरव्यू के कारण स्थानीय दूतावासों पर दबाव बढ़ रहा था और वहां के संसाधनों पर असर पड़ रहा था। इसलिए यह तय किया गया है कि हर आवेदक अपने ही देश में इंटरव्यू दे, ताकि प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित हो सके।

भारतीय यात्रियों की बढ़ी परेशानी

भारत में अमेरिकी वीज़ा स्लॉट की भारी मांग पहले से ही है और कई-कई महीनों तक अपॉइंटमेंट मिलना मुश्किल होता है। ऐसे में अब तीसरे देश में जाकर जल्दी वीज़ा पाने का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है। इसका सीधा असर भारतीय छात्रों, कामकाजी लोगों और पर्यटकों पर पड़ेगा, जिन्हें अपने अमेरिकी सपनों को साकार करने के लिए अब और लंबा इंतजार करना होगा।

साफ है कि इस नए नियम से भारतीय यात्रियों की चुनौतियां दोगुनी हो गई हैं। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि क्या भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक बातचीत से इस मुश्किल का कोई हल निकल पाएगा या नहीं।

 

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