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नारी शक्ति और बच्चों के कल्याण के लिए विशेष मेहमानों का सम्मान: 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में उल्लेखनीय योगदान

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शुक्रवार को पूरा देश स्वतंत्रता की 79वीं वर्षगांठ पर एकजुट होकर राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान में खड़ा हुआ। राजधानी के ऐतिहासिक लाल किले पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तिरंगा फहराकर राष्ट्र को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने महिलाओं की शक्ति, बच्चों के कल्याण और राष्ट्र निर्माण में उनकी अपरिहार्य भूमिका को केंद्र में रखते हुए कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का मार्ग महिलाओं के सशक्तिकरण और बच्चों के समग्र विकास से होकर गुजरता है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि भारत की प्रगति केवल आर्थिक या तकनीकी उपलब्धियों से नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग—विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों—के सशक्त, सुरक्षित और सम्मानजनक स्थान से मापी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि नारी शक्ति केवल घर-परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि वह शिक्षा, प्रशासन, विज्ञान, सेना और राजनीति के हर मोर्चे पर भारत के उज्ज्वल भविष्य की रचना कर रही है।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर का विशेष उल्लेख करते हुए भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता को नमन किया। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के सामूहिक संकल्प का प्रतीक है, जो राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा के लिए एकजुट खड़े हैं। प्रधानमंत्री ने उन वीर जवानों की बहादुरी की प्रशंसा की, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की और आने वाली पीढ़ियों के लिए साहस का अमिट उदाहरण स्थापित किया।

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने स्वतंत्रता दिवस समारोह के बाद कहा, “प्रधानमंत्री का संदेश वास्तव में एक राष्ट्रीय आह्वान है। विकसित भारत का सपना तभी पूरा होगा जब महिलाएं पूरी तरह सशक्त हों और हर बच्चा सुरक्षित, शिक्षित और अवसरों से परिपूर्ण हो। ऑपरेशन सिंदूर में जवानों के साहस और नारी शक्ति की मान्यता हमारे मंत्रालय के मिशन के अनुरूप है। इस वर्ष के विशेष मेहमान वे सच्चे परिवर्तनकारी हैं जो बिना किसी चर्चा या मंच के, जमीनी स्तर पर काम करके समाज में बदलाव ला रहे हैं।”

विशेष मेहमानों का सम्मान — इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस समारोह में लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण और प्रधानमंत्री के भाषण को देखने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से आए विशेष मेहमान उपस्थित रहे। इनमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सुपरवाइज़र, बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) के बच्चे, पीएम केयर्स के लाभार्थी, बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ), जिला बाल संरक्षण अधिकारी (डीसीपीओ), वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) के कर्मचारी और अन्य फ्रंटलाइन कार्यकर्ता शामिल थे। ये सभी वे अनसुने नायक हैं जो समाज की बुनियादी जरूरतों को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने में सेतु का काम करते हैं—चाहे वह पोषण कार्यक्रम हो, बाल सुरक्षा सेवाएँ हों या महिलाओं के लिए आपात सहायता। उनकी सेवाएँ इस बात का प्रमाण हैं कि असली विकास केवल योजनाओं से नहीं, बल्कि उन्हें ज़मीन पर ईमानदारी और निष्ठा से लागू करने वालों के प्रयास से संभव है।

दिल्ली भ्रमण और संवाद सत्र — 13 से 16 अगस्त 2025 के बीच, इन विशेष मेहमानों को राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक महत्व के स्थलों का भ्रमण कराया गया। उन्होंने संसद भवन, प्रधानमंत्री संग्रहालय, कर्तव्य पथ और कई अन्य स्मारकों का दौरा किया। 14 अगस्त को महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर के साथ एक विशेष संवाद सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें मंत्रालय के सचिव श्री अनिल मलिक और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस सत्र में मेहमानों ने अपने-अपने क्षेत्रों से जुड़े अनुभव, चुनौतियाँ और नवाचार साझा किए। उनकी कहानियों में कठिनाइयों के बावजूद डटे रहने का जज़्बा, संसाधनों की कमी में भी समाधान ढूँढने की क्षमता और दूसरों के जीवन में बदलाव लाने का जुनून साफ झलकता था।

मंत्रालय की प्रतिबद्धता — महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस अवसर पर पुनः आश्वस्त किया कि वह महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है, और बच्चों के संरक्षण, पोषण तथा सर्वांगीण विकास को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाए रखेगा। मंत्रालय का यह भी मानना है कि विकसित भारत की परिकल्पना तभी पूरी होगी जब हर नागरिक को समान अवसर मिले, और समाज के कमजोर वर्ग भी राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी कर सकें।

 

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