15 अगस्त 2025
पैन इंडिया रिपोर्ट
भारत में पर्यटन का चेहरा अब पूरी तरह बदल चुका है। पहले जहां यात्रा का मतलब किसी ऐतिहासिक स्थल को देखना या मंदिरों में दर्शन करना मात्र था, वहीं अब 2025 में यात्रा लोगों के लिए आत्म-अन्वेषण, मानसिक सुकून, पर्यावरणीय जिम्मेदारी और डिजिटल संतुलन का प्रतीक बन गई है। भारतीयों के ट्रैवल विकल्प अब अधिक वैयक्तिक, गहरे, टिकाऊ और संतुलित हो गए हैं। ये न सिर्फ शहरी युवाओं तक सीमित हैं, बल्कि अब कामकाजी लोग, वरिष्ठ नागरिक, और यहां तक कि छात्र भी अपने-अपने तरीके से “नई यात्रा संस्कृति” में शामिल हो चुके हैं।
देश में इस वर्ष का सबसे बड़ा ट्रेंड रहा — “अनुभव आधारित पर्यटन”। लोग अब जगहें नहीं, अनुभव बटोरना चाहते हैं। किसी बौद्ध मठ में ध्यान लगाना, किसी गाँव के लोक-कलाकार से चित्रकारी सीखना, या किसी दूरदराज पहाड़ी क्षेत्र में स्थानीय परिवार के साथ रहकर उनके जीवन को करीब से जानना — ये सब अब आधुनिक ट्रैवल लिस्ट में शामिल हो चुका है। स्पिति घाटी, ज़ीरो वैली, गोकर्ण, बस्तर, और अरुणाचल के मॉनपा गांव जैसे स्थान पहले ‘अनदेखे’ थे, अब नए दौर के यात्रा-प्रेमियों के दिल की धड़कन बन गए हैं।
वर्केशन और डिजिटल नोमेड जीवनशैली एक बड़ा बदलाव लेकर आई है। गोवा, मनाली, ऋषिकेश और अंडमान जैसे स्थानों पर हजारों की संख्या में युवा पेशेवर और फ्रीलांसर महीनों तक रहकर काम कर रहे हैं। ये लोग सुबह लैपटॉप पर मीटिंग करते हैं और शाम को समुद्र या पहाड़ों की गोद में सुकून ढूंढ़ते हैं। होटल्स और होमस्टे अब ‘वर्क फ्रॉम होम’ को ‘वर्क फ्रॉम पैराडाइज’ में बदल रहे हैं। बेहतर इंटरनेट, शांत वातावरण और लोकेशन-फ्रेंडली संस्कृति इन स्थलों को आदर्श बना रही है।
2025 में पर्यावरणीय जागरूकता भी यात्राओं का एक प्रमुख हिस्सा बन गई है। सतत पर्यटन (Sustainable Tourism) अब केवल एक शब्द नहीं, बल्कि व्यवहार बन गया है। योग और आयुर्वेद से जुड़े वेलनेस रीट्रीट, पर्यावरण के अनुकूल होमस्टे, सोलर-एनर्जी संचालित कैम्पिंग साइट्स, और प्लास्टिक-फ्री ट्रैवल पैकेज अब तेजी से लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। विशेष रूप से केरल, उत्तराखंड, सिक्किम, कर्नाटक और असम जैसे राज्यों में ऐसी पहल देखने को मिल रही हैं जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त कर रही हैं।
भारत में 2025 में धार्मिक पर्यटन ने भी एक नया रूप लिया है। अब श्रद्धा और आस्था के साथ-साथ यात्री दर्शन स्थलों पर सांस्कृतिक सहभागिता चाहते हैं। कुंभ मेले में करोड़ों की भीड़ के बावजूद शांति, व्यवस्था और तकनीक के सहारे पहली बार लोग इसे ‘आध्यात्मिक अनुभव’ के रूप में देख पाए। साथ ही, चारधाम यात्रा, वैष्णो देवी, अजमेर शरीफ, गोल्डन टेम्पल और वेल्लांकिनी चर्च जैसे स्थलों पर अब इंटर-फेथ यात्राएं भी लोकप्रिय हो रही हैं, जहां लोग विभिन्न धर्मों और परंपराओं को समझने और अपनाने का प्रयास कर रहे हैं।
डिजिटल युग में टेक्नोलॉजी ने यात्रा को सहज और स्मार्ट बना दिया है। यात्रा अब AI और ऐप आधारित हो गई है। फ्लाइट, होटल, गाइड, टिकट, अनुभव — सब कुछ अब एक क्लिक पर संभव है। मोबाइल एप्स, वर्चुअल ट्रैवल असिस्टेंट, AR-व्यू वाले टूर गाइड और डिजिटल पेमेंट्स ने यात्रियों को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बना दिया है। लोग अब यात्रा से पहले ही 360 डिग्री वर्चुअल टूर लेकर योजना बनाते हैं और फिर वास्तविक अनुभव में उतरते हैं।
पर्यटन को लेकर देश का बुनियादी ढांचा भी तेजी से बदल रहा है। नासिक, रांची, मैसूर, डिब्रूगढ़, और चंडीगढ़ जैसे शहरों से अब सीधे फ्लाइट कनेक्टिविटी वैष्णो देवी, अयोध्या, नांदेड़ साहिब जैसे पवित्र स्थलों के लिए दी जा रही है। गोवा का मोपा एयरपोर्ट अब लक्षद्वीप और महाराष्ट्र के दूरदराज़ हिस्सों तक का नया हब बन गया है। इससे छोटे शहरों से बड़े पर्यटन केंद्रों तक पहुंच और भी सरल हो गई है।
अंततः, 2025 का भारतीय ट्रैवल ट्रेंड यह स्पष्ट करता है कि आज का यात्री केवल सैलानी नहीं, एक जिज्ञासु, संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक है। वह न केवल खुद के भीतर झांकना चाहता है, बल्कि समाज, प्रकृति और संस्कृति से भी गहराई से जुड़ना चाहता है। भारतीय पर्यटन अब “देखो भारत” से बढ़कर “समझो भारत” की ओर बढ़ चला है — और यही बदलाव इस दशक का सबसे उज्ज्वल संकेत है।