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आज़ादी के अमृतकाल में छत्तीसगढ़ बना नवभारत की प्रेरणा : विकास, विश्वास और विरासत का त्रिवेणी संगम

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15 अगस्त का दिन केवल स्वतंत्रता का उत्सव नहीं, बल्कि उस सपने को जीने का अवसर है जिसे हमारे पुरखों ने आज़ाद भारत के लिए देखा था — एक समृद्ध, सशक्त, आत्मनिर्भर राष्ट्र। इस अमृतकाल में जब देश “विकसित भारत” की ओर अग्रसर है, तब छत्तीसगढ़ ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में विकास, जनविश्वास और सांस्कृतिक उत्थान का एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत किया है जो आदिवासी आत्मा, आधुनिकीकरण की आकांक्षा और राष्ट्रवाद की ऊर्जा का संपूर्ण प्रतिबिंब है।

कृषि से आत्मनिर्भरता तक: खेत बना आर्थिक केंद्र

भाजपा शासन में किसान केवल अन्नदाता नहीं, अब समृद्धि और सम्मान का प्रतीक बन चुका है। नरवा, गरुवा, घुरुवा, बाड़ी जैसी योजनाओं से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नवजीवन मिला, तो वहीं फसल बीमा, MSP, और कृषि यांत्रिकरण से खेतों की पैदावार और किसानों की आमदनी दोनों में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई। कृषि से एग्रो-इंडस्ट्री तक की यात्रा ने प्रदेश को आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर किया।

औद्योगिक क्रांति से रोज़गार और निवेश

छत्तीसगढ़ अब केवल खनिज भंडार नहीं, बल्कि “मेक इन छत्तीसगढ़” के विज़न के तहत स्टील, फार्मा, फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल और MSME हब बनकर उभर रहा है। एकल खिड़की व्यवस्था, जमीन बैंक, डिजिटल मंज़ूरी सिस्टम और विदेशी निवेश संवाद जैसे उपायों ने छत्तीसगढ़ को उद्योग और स्टार्टअप्स का भरोसेमंद गंतव्य बना दिया है।

शिक्षा, कौशल और युवा नेतृत्व

राज्य में डिजिटल क्लासरूम, मॉडल स्कूल, ई-लाइब्रेरी और स्किल यूनिवर्सिटी जैसी पहलें आज छत्तीसगढ़ के हर बच्चे को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रही हैं। स्टार्टअप नीति, युवोदय योजना और डिजिटल इंडिया केंद्र ने युवा को जॉब सीकर नहीं, जॉब क्रिएटर बनाया है।

स्वास्थ्य सेवा: इलाज भी इज़्ज़त भी

आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री हाट-बाज़ार क्लिनिक, जननी सुरक्षा योजना, और AIIMS जैसे संस्थानों का विस्तार — इन सबने मिलकर छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवा को संवेदना और समर्पण का चेहरा बना दिया है। अब गरीब को इलाज के लिए ज़मीन नहीं बेचनी पड़ती — भाजपा राज ने स्वास्थ्य को अधिकार और आत्मबल का माध्यम बनाया है।

नारी गरिमा और महिला सशक्तिकरण

छत्तीसगढ़ की बेटियां आज सिर्फ घर नहीं, हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रही हैं। स्व-सहायता समूह, महिला स्टार्टअप स्कीम, सुकन्या समृद्धि योजना और महिला आरक्षण ने नारी को न केवल सुरक्षा, बल्कि निर्णय क्षमता और गरिमा दी है।

इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी

सड़क, पुल, रेलवे और डिजिटल नेटवर्क के क्षेत्र में जो विकास हुआ है, उसने छत्तीसगढ़ को भूमि से जोड़ा ही नहीं, बल्कि आर्थिक विकास की रफ्तार भी दी। राष्ट्रीय राजमार्गों, गाँवों को जोड़ती पक्की सड़कें, और 4G नेटवर्क ने हर कोने को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा।

डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और ई-गवर्नेंस

राज्य अब “डिजिटल छत्तीसगढ़” बन चुका है — ऑनलाइन पोर्टल, मोबाइल एप्लिकेशन, सी-स्काई, DBT जैसी सेवाएं सरकार को जनता की जेब में ले आई हैं। यह पारदर्शिता, त्वरिता और सेवा भाव का प्रतीक है।

संस्कृति, आस्था और पर्यटन

डोंगरगढ़, चित्रकूट, बारनवापारा, सिरपुर, शिवरीनारायण, कुटुमसर और बस्तर दशहरा — ये न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान हैं, बल्कि पर्यटन और रोजगार के नए केंद्र भी बने हैं। भाजपा शासन में छत्तीसगढ़ की विरासत को विश्व मंच पर पहचान मिली है।

नक्सलवाद पर निर्णायक वार

भय और हिंसा से ग्रस्त क्षेत्र अब भरोसे, विकास और विजय के पथ पर हैं। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, भर्ती अभियान और संवाद के सहारे भाजपा सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों को मुख्यधारा में लाने का ऐतिहासिक कार्य किया है।

 अमृतकाल में आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़

15 अगस्त के इस पावन अवसर पर जब देश “विकसित भारत” की कल्पना साकार कर रहा है, छत्तीसगढ़ भाजपा शासन में एक सशक्त सहभागी बनकर उभरा है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की नेतृत्व क्षमता, जवाबदेही भरा प्रशासन, और जमीन से जुड़ी संवेदना ने यह सिद्ध किया है कि यदि नेतृत्व साफ हो, नीति स्पष्ट हो और नीयत ईमानदार हो, तो हर राज्य एक मॉडल राज्य बन सकता है।

आज छत्तीसगढ़ की पहचान है —

किसान का गौरव

युवाओं का जोश

महिलाओं का आत्मबल

शासन की पारदर्शिता

संस्कृति की चमक

विकास की स्पष्ट दिशा

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