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समय का पहिया, जो जीवन की चाल बदल देता है

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नई दिल्ली

1 अगस्त 2025

जब भाग्य स्थिर नहीं, तो ग्रह क्यों स्थिर रहें?

जीवन में हर व्यक्ति यह अनुभव करता है कि कुछ समय अत्यंत अनुकूल होता है — जैसे सब कुछ स्वतः सरल हो रहा हो। वहीं कुछ समय ऐसा भी आता है जब हर दिशा में अड़चन, असमंजस और मानसिक उलझन रहती है।

ऐसा क्यों होता है? क्या यह केवल संयोग है, या समय की कोई सूक्ष्म गति हमारे जीवन में घटनाओं की श्रृंखला तय कर रही है?

ज्योतिषीय भाषा में इसका उत्तर है — ग्रहों का गोचर।

आपकी जन्मकुंडली स्थायी है, पर ग्रह चलते रहते हैं — और जब वे आपकी कुंडली के प्रमुख बिंदुओं (लग्न, चंद्र, सूर्य, दशम, नवम, सप्तम आदि) से गुजरते हैं, तो जीवन में हलचल मचती है — कभी सुखद, कभी चुनौतीपूर्ण।

गोचर क्या है? और यह कुंडली से कैसे जुड़ता है?

गोचर शब्द का अर्थ है — “चलना”।।जब कोई ग्रह अपनी गति से एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, और यह घटना किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के विशेष भावों या ग्रहों पर प्रभाव डालती है — तो उसे गोचर प्रभाव कहते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि शनि आपकी जन्म कुंडली के चंद्रमा से आठवीं राशि में प्रवेश कर रहा है, तो वह अष्टम शनि गोचर कहलाएगा, जो कई बार मानसिक तनाव, स्वास्थ्य चुनौतियों या आत्मनिरीक्षण के संकेतक बनता है।

ग्रहों का गोचर आपके वर्तमान दशा-अंतर्दशा के साथ मिलकर जीवन की परिस्थितियाँ बनाता और बदलता है।

इसीलिए कई बार देखा जाता है कि किसी शुभ ग्रह का गोचर भी फल नहीं देता, क्योंकि दशा प्रतिकूल चल रही होती है।

प्रमुख ग्रहों के गोचर: कौन सा कितना प्रभावशाली?

  1. चंद्रमा और सूर्य — ये शीघ्र गति वाले ग्रह हैं। चंद्रमा हर 2.25 दिन में राशि बदलता है, और सूर्य हर माह। ये मानसिक अवस्था और आत्मबल पर त्वरित असर डालते हैं।
  1. बुध, शुक्र और मंगल — ये मध्य गति वाले ग्रह हैं, और करियर, प्रेम, तर्क, यात्रा, ऊर्जा और संचार के क्षेत्र में असर डालते हैं।
  1. गुरु (बृहस्पति) — हर 12–13 महीने में राशि बदलता है। यह ज्ञान, विवाह, भाग्य और बच्चों पर दीर्घकालिक प्रभाव डालता है।
  1. शनि — सबसे धीमी गति वाला ग्रह, ढाई साल तक एक राशि में रहता है। यह कर्म, धैर्य, संघर्ष और पुनर्निर्माण का संकेतक है। इसका गोचर जीवन में परीक्षा का काल ला सकता है।
  1. राहु और केतु — छाया ग्रह हैं, 18 महीने तक एक राशि में रहते हैं। इनका गोचर अचानक बदलाव, भ्रम, उच्च बुद्धि, या रहस्यमय दिशा का संकेत हो सकता है।

हर ग्रह का गोचर सिर्फ राशि नहीं, भाव, दृष्टि, युति और नक्षत्र के साथ जुड़कर अपनी विशेष स्थिति बनाता है।

गोचर के अच्छे और चुनौतीपूर्ण चरण: क्यों होता है “Bad Phase”?

कई बार हम कहते हैं — “अब समय ठीक नहीं चल रहा” — ज्योतिष इसे गोचर दोष या “प्रतिकूल गोचर” कहता है।

जब शनि, राहु, केतु, मंगल आदि ग्रह जन्म के चंद्रमा या लग्न से 4, 8, या 12वें भाव में गोचर करते हैं, तो जीवन में विघ्न, मानसिक थकावट, भ्रम या नुकसान हो सकते हैं।

शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या, गुरु का कष्टदायक गोचर, राहु-केतु की छाया, या मंगल का अशुभ दृष्टिकोन — यह सब उस समय जीवन की दिशा बदल सकता है।

परंतु ज्योतिष यह भी कहता है कि हर गोचर अपने साथ एक अवसर भी लाता है — बशर्ते आप उसे पहचानें।

शुभ गोचर: जब राहें खुलने लगती हैं

जब गुरु लग्न, पंचम या नवम भाव में गोचर करता है, जब शुक्र सप्तम या एकादश में आता है, या जब शनि दशम में प्रवेश करता है — तब व्यक्ति को जीवन में नई गति, स्थायित्व और सम्मान मिलने लगता है।।इन समयों में नौकरी, विवाह, संपत्ति, संतान, और मनोबल से जुड़े कार्य सफल हो सकते हैं।।शुभ गोचर में आत्मविश्वास, दृष्टि और कार्यक्षमता स्वतः बढ़ जाती है — ऐसा लगता है मानो “किस्मत साथ दे रही है”।

उपाय नहीं, समझ है ज़रूरी

अक्सर लोग कहते हैं — “गोचर खराब है, कोई उपाय बताइए।”।ज्योतिष उपायों से ज़्यादा समझ की विद्या है।

यदि आप जान लें कि किस समय किस ग्रह की परीक्षा चल रही है, तो आप मानसिक रूप से तैयार रहेंगे, योजनाओं को पुनः नियोजित करेंगे, और अनावश्यक जोखिम से बचेंगे।।कुछ मूल उपाय जैसे — मंगलवार को हनुमान पूजा, शनिवार को पीपल पर जल, गुरु के लिए गुरुवार व्रत, मानसिक संतुलन और आत्म-निर्भरता देने में सहायक हो सकते हैं।।परंतु सबसे बड़ा उपाय है — अपनी सोच और दृष्टिकोण का गोचर बदलना। ग्रहों का असर तभी होता है जब हम उसे भीतर स्वीकारते हैं।

समय बदलता है, और यही उसकी सबसे बड़ी शक्ति है

“गोचर वह हवाओं की दिशा है, पर जहाज़ कहाँ जाएगा — यह नाविक तय करता है। ग्रह समय को चलाते हैं, पर समय के साथ कौन कैसा चलता है — यही कर्म का फल है। गोचर को भय नहीं, बुद्धि से देखिए — क्योंकि समय तो फिर बदल ही जाएगा।”

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