Home » National » जम्मू-कश्मीर में 2024 और 2025 के दौरान सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई पर विशेष रिपोर्ट

जम्मू-कश्मीर में 2024 और 2025 के दौरान सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई पर विशेष रिपोर्ट

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

15 अगस्त 2025 

जम्मू-कश्मीर में पिछले दो वर्षों में सुरक्षा व्यवस्था और आतंकवाद-निरोधी रणनीतियों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है। 2024 और 2025 के बीच केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशन में भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और विभिन्न खुफिया एजेंसियों ने मिलकर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है। इन कार्रवाइयों का असर सिर्फ मुठभेड़ों और आतंकी ढांचे को ध्वस्त करने तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद के नेटवर्क, स्थानीय ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs), फंडिंग चैनलों और सीमापार से होने वाली घुसपैठ को भी बड़ी हद तक नियंत्रित किया गया। अब तक के आँकड़ों और घटनाओं के विश्लेषण से स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में आतंक का खात्मा अब निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुका है।

2024 की कामयाबियाँ – रणनीतिक दबदबे का वर्ष:

साल 2024 में जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा परिदृश्य में सबसे बड़ा परिवर्तन यह रहा कि ऑपरेशन केवल जवाबी कार्रवाई तक सीमित नहीं रहे, बल्कि proactive और pre-emptive रणनीति अपनाई गई। इस वर्ष 75 से अधिक आतंकियों को मारा गया, जिनमें से 42 आतंकवादी विदेशी नागरिक थे, मुख्यतः पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए। कुलगाम, पुलवामा, शोपियां और बारामुला जैसे ज़िलों में स्थानीय खुफिया जानकारी के आधार पर सटीक अभियानों को अंजाम दिया गया। मई 2024 में बासित अहमद दर उर्फ अबू कमरान जैसे खतरनाक और हाई-प्रोफाइल आतंकी की मौत इस बात का प्रमाण थी कि अब आतंकी नेतृत्व भी सुरक्षित नहीं रहा। इस कमांडर को सुरक्षा एजेंसियों ने दो साल से ट्रैक कर रखा था और उसकी हर गतिविधि पर नजर थी।

जम्मू जोन पुलिस ने अकेले 14 विदेशी आतंकियों को ढेर किया और 13 आतंकी मॉड्यूल्स को ध्वस्त किया, जिनमें हथियारों की खेप, विस्फोटक सामग्री और पाकिस्तानी सिम कार्ड्स बरामद हुए। साथ ही 800 से अधिक ओवरग्राउंड वर्कर्स की पहचान की गई, जिनमें से 180 को PSA (Public Safety Act) के तहत हिरासत में लिया गया। यह केवल ऑपरेशन का हिस्सा नहीं था, बल्कि आतंकी नेटवर्क की जड़ों पर वार था। इन सबके पीछे सतत निगरानी, डिजिटल ट्रैकिंग और स्थानीय समुदायों से प्राप्त सहयोग का भी बड़ा योगदान रहा। वर्ष 2024 को सुरक्षा एजेंसियों ने “Command & Control Takedown Year” के रूप में चिन्हित किया।

2025 की शुरुआत – आक्रामक नीति का विस्तार:

2025 की शुरुआत भी बेहद सटीक और मजबूत सुरक्षा नीति के तहत हुई। 18 मार्च 2025 को कुपवाड़ा जिले के हाथवाड़ा क्षेत्र में एक पाकिस्तानी घुसपैठिए सैफुल्लाह को मार गिराया गया। यह इस वर्ष का पहला घोषित विदेशी आतंकी मुठभेड़ था, जिसे भारतीय सेना और पुलिस ने घेराबंदी कर एक कुशल ऑपरेशन के तहत निष्पादित किया। इसके तुरंत बाद, 13 मई से 15 मई तक शोपियां जिले के केलर इलाके में एक संयुक्त अभियान चलाया गया, जिसे “ऑपरेशन केलर” नाम दिया गया। इस अभियान में तीन LeT आतंकियों को मार गिराया गया, जिनके पास से भारी मात्रा में हथियार, हैंड ग्रेनेड और आईईडी उपकरण बरामद हुए। खास बात यह रही कि इनमें से दो आतंकी हाल ही में पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर लौटे थे।

इसी अवधि में त्राल और पुलवामा क्षेत्रों में भी समन्वित कार्रवाई हुई, जिसमें कुल 6 आतंकवादी मारे गए। इन कार्रवाइयों का सीधा संबंध अप्रैल में हुए पैहलगाम हमले से था, जिसमें सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया था। इस हमले के बाद केंद्र सरकार ने तुरंत उच्च स्तरीय समीक्षा की और घाटी में तैनात सभी बलों को “ऑपरेशन तेज़ धार” नाम से आतंकी ठिकानों पर हमला करने की छूट दी गई। इसका असर यह हुआ कि मई 2025 के दूसरे सप्ताह तक आतंकवादी गुटों का मनोबल पूरी तरह टूटता दिखा।

एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सफलता:

जम्मू क्षेत्र, विशेषकर उधमपुर, पुंछ और राजौरी जिलों में LoC के पास घुसपैठ के प्रयासों पर लगाम कसने के लिए हाईटेक सर्विलांस सिस्टम, ड्रोन मॉनिटरिंग और नाइट विजन उपकरण लगाए गए। 27 जून 2025 को उधमपुर जिले के बसंतगढ़ क्षेत्र में एक आतंकी को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में मार गिराया, जो जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा था और सीमा पार से घुसा था। कुछ ही दिनों बाद 30 जून 2025 को LoC के पास से एक पाकिस्तानी नागरिक पकड़ा गया, जो आतंकी गाइड के रूप में कार्य कर रहा था। पूछताछ में खुलासा हुआ कि वह 7 से अधिक आतंकी अभियानों में पाकिस्तानी रेंजर्स की मदद से शामिल रहा है। यह गिरफ्तारी इस बात का प्रमाण बनी कि सीमा पार से आतंक का समर्थन अब भी जारी है, लेकिन अब वो अधिक दिनों तक छुप नहीं सकता।

विश्लेषणात्मक निष्कर्ष और संकेत:

2024 और 2025 की कार्रवाईयाँ दर्शाती हैं कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियाँ अब केवल रिएक्टिव नहीं रहीं, बल्कि आतंकी हमलों से पहले ही उनकी साजिशों को नाकाम करने में सक्षम हो चुकी हैं। विदेशी आतंकियों की लगातार मौत, कमांडर-स्तर के नेतृत्व का खात्मा और स्थानीय OGWs पर कठोर कार्रवाई यह दिखाती है कि आतंक का “Ecosystem” अब बिखर रहा है। अब युवाओं की भर्ती में भी गिरावट देखी गई है और स्कूल-कॉलेज परिसरों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। ‘मिशन गारंटी सुरक्षा’ के तहत आतंक प्रभावित क्षेत्रों में अब चिकित्सा, शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास हो रहा है, जिससे आतंकवाद के सामाजिक कारणों पर भी रोक लग रही है।

जम्मू-कश्मीर में 2024–2025 का कालखंड आतंकी नेटवर्क के विरुद्ध निर्णायक विजय का प्रतीक है। इन वर्षों में न केवल ज़मीन पर आतंकवादियों को मारा गया, बल्कि उनकी विचारधारा, प्रचार और नेटवर्किंग को भी कुचल दिया गया। हालांकि चुनौतियाँ अब भी शेष हैं — जैसे डिजिटल माध्यम से कट्टरपंथ फैलाने की कोशिश, ड्रोन के जरिए हथियार पहुँचाने के प्रयास और सीमा पार से साजिशें — लेकिन जिस अनुशासन, समन्वय और तकनीकी क्षमता के साथ भारतीय सुरक्षा एजेंसियाँ काम कर रही हैं, वह भविष्य में स्थायी शांति और विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *