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आजादी के 79 साल और भारत का चौतरफा विकास

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आजादी से आत्मनिर्भरता की ओर 15 अगस्त 1947 को मिली आज़ादी सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं था, बल्कि यह एक सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक पुनर्जागरण की शुरुआत थी। ब्रिटिश शासन के दौरान भारत को एक लुटे-पिटे, गरीब और अशिक्षित देश के रूप में छोड़ दिया गया था। लेकिन आज, 79 वर्षों बाद भारत वैश्विक मंच पर एक निर्णायक शक्ति बन चुका है। यह यात्रा कठिनाइयों से भरी रही लेकिन भारतीय लोकतंत्र की मज़बूती, नीति-निर्माताओं की दूरदर्शिता और आम जनता की अटूट मेहनत ने इसे संभव बनाया। 2025 का भारत एक उभरती हुई महाशक्ति है जो आत्मनिर्भरता, समावेशी विकास और वैश्विक उत्तरदायित्व के सिद्धांतों पर आगे बढ़ रहा है।

अर्थव्यवस्था: संकटों से संकल्प की ओर 1947 में भारत की GDP महज़ 30 बिलियन डॉलर थी, जो अब 3.7 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो चुकी है। यह वृद्धि केवल आँकड़ों की नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और नवाचार की कहानी है। 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद देश ने जो आर्थिक रफ्तार पकड़ी, उसे अब मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों ने और गति दी है। वैश्विक मंदी, महामारी, और भू-राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मज़बूती से खड़ी रही है। आज भारत विदेशी निवेश के लिए एक पसंदीदा गंतव्य है और ‘Ease of Doing Business’ में निरंतर सुधार करते हुए विनिर्माण, सेवा और कृषि के क्षेत्रों में अभूतपूर्व वृद्धि कर रहा है।

औद्योगिक विकास: निर्माण और नवाचार का युग भारत ने बीते दशकों में औद्योगिक क्षेत्र में जबरदस्त छलांग लगाई है। ऑटोमोबाइल, फार्मा, रक्षा निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्नोलॉजी में भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उतर चुका है। सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिक वाहन, ग्रीन हाइड्रोजन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में निवेश लगातार बढ़ रहा है। देश की 100 से अधिक स्मार्ट सिटी अब उद्योगों का नया केंद्र बन रही हैं। भारत अब केवल उपभोक्ता देश नहीं, बल्कि निर्माता देश बन रहा है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए किये गए प्रयासों ने भारत को हथियारों के आयातक से निर्यातक की दिशा में अग्रसर कर दिया है।

कृषि क्षेत्र: परंपरा से प्रौद्योगिकी की ओर कभी खाद्यान्न के लिए अमेरिका की ‘PL-480’ स्कीम पर निर्भर रहने वाला भारत अब अनाज निर्यातक देश बन चुका है। हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और हालिया डिजिटल क्रांति ने खेती को आत्मनिर्भर और लाभकारी बनाया है। ड्रोन तकनीक, सॉयल हेल्थ कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, और ई-नाम जैसे उपायों ने किसानों को बाज़ार से जोड़ने का काम किया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि ने करोड़ों किसानों को सीधे आर्थिक सहायता पहुंचाई है। सिंचाई योजनाओं, फसल बीमा और कृषि यंत्रों के लिए सब्सिडी जैसी योजनाएं किसानों के जीवन में बदलाव ला रही हैं।

शिक्षा क्षेत्र: ज्ञान से राष्ट्र निर्माण तक 1947 में भारत की साक्षरता दर केवल 12% थी, जो अब 79% से अधिक हो चुकी है। नई शिक्षा नीति (NEP 2020) ने पाठ्यक्रम को लचीला, बहु-विषयक और कौशल-आधारित बनाया है। आज भारत में सैकड़ों केंद्रीय विश्वविद्यालय, IITs, IIMs, AIIMS और स्किल डेवेलपमेंट सेंटर्स कार्यरत हैं। डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म जैसे SWAYAM, Diksha और e-PGPathshala ने शिक्षा को ग्रामीण भारत तक पहुंचाया है। अनुसंधान, नवाचार और स्टार्टअप कल्चर अब उच्च शिक्षा संस्थानों की पहचान बन चुकी है। अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भारतीय संस्थान निरंतर ऊपर चढ़ रहे हैं।

स्वास्थ्य सेवाएं: जनसेवा से जनसशक्तिकरण तक आज़ादी के समय भारत में जीवन प्रत्याशा 32 वर्ष थी, जो अब 70 वर्ष से अधिक हो चुकी है। आयुष्मान भारत योजना ने 50 करोड़ से अधिक लोगों को 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा दिया है। जन औषधि केंद्रों के माध्यम से सस्ती दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने जिस दक्षता से टीकाकरण अभियान चलाया और ‘वैक्सीन मैत्री’ के तहत अन्य देशों को भी सहायता दी, उसने वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को और सशक्त किया। टेलीमेडिसिन, AI आधारित डायग्नोसिस और हेल्थ इंफॉर्मेशन पोर्टल्स ने ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बढ़ाई है।

अवसंरचना: राष्ट्र निर्माण की रीढ़ भारत में सड़क, रेल, हवाई और जल परिवहन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है। भारतमाला, सागरमाला, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, और PM Gati Shakti जैसी परियोजनाएं देश को नई गति और शक्ति दे रही हैं। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे जैसे राजमार्गों ने भारत के भूगोल को नए व्यापारिक अवसरों में बदल दिया है। रेलवे का विद्युतीकरण, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट और Vande Bharat एक्सप्रेस जैसे प्रयासों ने देश के यातायात ढांचे को 21वीं सदी के अनुरूप बना दिया है। ग्रामीण भारत में भी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना ने लाखों किलोमीटर सड़कें बनाकर गांवों को मुख्यधारा से जोड़ा है।

ऊर्जा और पर्यावरण: सतत विकास की दिशा में भारत ने गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के माध्यम से भारत 2030 तक 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य लेकर चल रहा है। UJALA योजना के तहत LED बल्बों का वितरण हो या उज्ज्वला योजना के तहत LPG कनेक्शन — सभी ने ऊर्जा उपभोग में सकारात्मक बदलाव लाया है। भारत ने COP26 में ‘पंचामृत’ संकल्प लिया और ‘LiFE (Lifestyle for Environment)’ आंदोलन शुरू किया, जो अब वैश्विक चर्चा का विषय है। स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसे प्रयासों ने न केवल पर्यावरण संरक्षण किया, बल्कि करोड़ों लोगों को जीवन की मूलभूत सुविधाएं दीं।

सामाजिक समरसता और न्याय: समानता की ओर बढ़ता भारत भारत ने सामाजिक न्याय की अवधारणा को केवल संविधान में नहीं, बल्कि जन-जन के जीवन में उतारा है। अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाओं के लिए शिक्षा, रोजगार, सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण के अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। तीन तलाक की समाप्ति, वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता, मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा पर विशेष बल और समान नागरिक संहिता की दिशा में किए जा रहे प्रयास सामाजिक समानता के प्रतीक हैं। एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को केंद्र और राज्य सरकारों ने व्यवहार में उतारा है, जिससे राष्ट्र की एकता और अखंडता को और मज़बूती मिली है।

डिजिटल क्रांति: तकनीक से जनकल्याण डिजिटल इंडिया अभियान ने देश को एक डिजिटल महासत्ता में बदल दिया है। आधार, UPI, BHIM, DigiLocker, e-SHRAM, CoWIN और ONDC जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने प्रशासन को पारदर्शी, त्वरित और प्रभावी बनाया है। आज गांव का किसान भी UPI से भुगतान कर रहा है और सरकारी सब्सिडी सीधे बैंक खाते में मिल रही है। जनधन योजना, मोबाइल और इंटरनेट की उपलब्धता ने ‘JAM ट्रिनिटी’ (Jan Dhan-Aadhaar-Mobile) को जीवन का हिस्सा बना दिया है। भारत अब दुनिया को डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का मॉडल दे रहा है।

अंतरराष्ट्रीय संबंध और नेतृत्व: विश्वगुरु की ओर अग्रसर आज भारत केवल दक्षिण एशिया में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है। जी-20 अध्यक्षता, SCO और BRICS में सक्रिय भागीदारी, क्वाड, I2U2, और वैश्विक साउथ की अगुवाई जैसे आयामों ने भारत को कूटनीतिक रूप से मजबूत किया है। भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के समय संतुलन साधा, तो वहीं इज़राइल-गाजा संघर्ष पर मानवीय मूल्यों की बात की। वैश्विक महामारी में ‘वैक्सीन मैत्री’ हो या आपदा में राहत — भारत ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना से कार्य किया है।

विकसित भारत का संकल्प 15 अगस्त 2025 को भारत अपनी आज़ादी के 79 वर्ष पूरे कर रहा है, लेकिन यह केवल एक ऐतिहासिक उत्सव नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने का भी अवसर है। आने वाले 22 वर्षों में, यानी 2047 तक भारत ने विकसित राष्ट्र बनने का संकल्प लिया है। यह संकल्प केवल GDP बढ़ाने का नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, विज्ञान, नवाचार, सामाजिक न्याय और पर्यावरण संतुलन जैसे सभी क्षेत्रों में वैश्विक मानक स्थापित करने का है। भारत का अतीत प्रेरणा है, वर्तमान परिश्रम है और भविष्य स्वर्णिम संभावना है।

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