नई दिल्ली 21 अक्टूबर 2025
देश के सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की छवि सुधारने के लिए भाजपा के IT Cell को नया कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है। सोशल मीडिया पर बढ़ती आलोचनाओं और पुराने घोटालों की फाइलें दोबारा खुलने के बाद, अब “डैमेज कंट्रोल” की कवायद शुरू हो चुकी है। लेकिन इस बार सामने हैं अटल सबूत, जो एक बड़े आर्थिक खेल की ओर इशारा करते हैं।
तथ्य बताते हैं कि कैसे देश ने ₹3,241 करोड़ बचाए — और कैसे यह सौदा गडकरी से जुड़ी कंपनियों के हित में तय किया गया था।
जनवरी 2016:
Ideal Road Builders (IRB Infra) को ₹10,050 करोड़ का ठेका मिला — जम्मू-कश्मीर में जोज़िला पास टनल के निर्माण के लिए।
जनवरी 2016:
कांग्रेस ने इस सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, लेकिन गडकरी ने तत्काल आरोपों को खारिज कर दिया।
जनवरी 2018:
केंद्र सरकार ने वही प्रोजेक्ट ₹6,809 करोड़ में मंज़ूर किया — यानी शुरुआती कीमत से ₹3,241 करोड़ कम!
प्रश्न यही है:
अगर 2018 में वही टनल ₹6,809 करोड़ में बन सकती थी, तो 2016 में ₹10,050 करोड़ का ठेका क्यों दिया गया? और किस दबाव में?
सूत्रों के अनुसार, Ideal Road Builders (IRB Infra) ने ₹32 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे — और यह समूह गडकरी के “निकट” माना जाता है। यानी पहले ठेका, फिर चंदा — और अब “छवि सुधार” अभियान!
राजनीतिक जानकार कहते हैं, “मोदी और शाह हर कॉन्ट्रैक्ट पर वसूली करते हैं, पर अपने दोस्तों को छूट मिल जाती है। यही है ‘सिस्टमेटिक करप्शन’ का नया रूप — जहां जनता का पैसा सत्ता की छवि पर खर्च होता है।”
अब सवाल उठता है:
क्या यह केवल ठेका घोटाला था, या सत्ता और पूंजी के गठजोड़ का संगठित मॉडल? क्योंकि जो सरकार खुद को पारदर्शिता की प्रतीक बताती है, वही अब अपने मंत्री की बदनाम छवि को ‘PR कॉन्ट्रैक्ट’ से चमकाने में लगी है। देश को यह जानने का हक़ है — ₹3,241 करोड़ की बचत आखिर किनके “पॉकेट प्लान” से निकली थी?