उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज राजधानी नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की। यह मुलाकात प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में हुई, जिसे एक शिष्टाचार भेंट बताया गया है। हालांकि PIB की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में इस मुलाकात की गहराई या मुद्दों की विस्तृत जानकारी नहीं दी गई, लेकिन सूत्रों के अनुसार इस बैठक को केवल औपचारिक मुलाकात नहीं माना जा रहा है। राजनीतिक जानकार इसे आगामी योजनाओं, राज्य–केंद्र समन्वय और चुनावी रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मुलाकात की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर देते हुए लिखा: – “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath ने प्रधानमंत्री श्री @narendramodi से मुलाकात की। @CMOfficeUP”
यह ट्वीट भले ही संक्षिप्त रहा, लेकिन इसके निहितार्थ व्यापक माने जा रहे हैं। यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब उत्तर प्रदेश में कई बड़े केंद्रीय और राज्यस्तरीय विकास परियोजनाएं ज़मीन पर उतर रही हैं। जैसे कि काशी कॉरिडोर का विस्तार, राम मंदिर निर्माण कार्य, मेट्रो परियोजनाएं, इन्वेस्ट यूपी पहल, और कई नए इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स। योगी सरकार इन सभी परियोजनाओं को तेज़ गति से लागू करने में जुटी है और केंद्र सरकार से सहयोग भी ले रही है।
साथ ही, यह मुलाकात 2027 के आगामी विधानसभा चुनावों और 2026 में संभावित राज्यसभा और अन्य राजनीतिक समीकरणों को लेकर भी अहम मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच यह बैठक आने वाले समय की रणनीति, कानून-व्यवस्था, और प्रदेश में केंद्र सरकार की योजनाओं की समीक्षा का मंच भी हो सकती है।
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य होने के नाते राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच संवाद को केवल औपचारिक मुलाकात कहना शायद पूरी तस्वीर को नज़रअंदाज़ करना होगा। दोनों नेता एक-दूसरे की कार्यशैली का सम्मान करते हैं और बार-बार एक-दूसरे को “सुशासन” और “विकास का प्रतीक” बताते हैं।