नई दिल्ली 28 अगस्त 2025
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और समाजवादी चिंतक योगेंद्र यादव ने सत्ताधारी ताकतों पर सीधा हमला बोलते हुए कहा है कि हालिया मतदाता सूची में संशोधन का खेल असल में डिसफ्रेंचाइजमेंट था—यानी करोड़ों लोगों से वोट का अधिकार छीनने की संगठित साजिश।
बिहार बना सबसे बड़ा निशाना
यादव ने कहा, “केवल बिहार में जितने मतदाताओं को सूची से बाहर किया गया और करने की तैयारी थी, उतना पिछले 150 साल में दुनिया के किसी भी लोकतंत्र में नहीं हुआ। यह इतिहास का सबसे बड़ा मताधिकार छीनने का षड्यंत्र था।” उनका आरोप है कि गरीब, वंचित और हाशिए के वर्गों को योजनाबद्ध तरीके से वोटर लिस्ट से हटाने का काम हुआ, ताकि सत्ता पक्ष को चुनाव में मनचाहा परिणाम मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट ने बचाया लोकतंत्र
उन्होंने जोर देकर कहा, “अगर सुप्रीम कोर्ट समय पर दखल नहीं देता, तो यह ‘दुनिया का सबसे बड़ा मताधिकार छीनने का हथियार’ साबित होता और भारत के लोकतंत्र पर काला धब्बा लग जाता।” यादव ने इसे न केवल चुनावी हेरफेर बल्कि लोकतंत्र की हत्या करार दिया।
सरकार और चुनाव आयोग पर करारा वार
योगेंद्र यादव ने सीधे तौर पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह पूरा खेल लोकतंत्र को अपंग बनाने की कोशिश है। उनका कहना था कि जब जनता का मताधिकार ही छीन लिया जाए, तो चुनाव सिर्फ़ सत्ता के इशारे पर चलने वाला एक फर्जी तमाशा रह जाता है।
विपक्ष का आक्रामक तेवर
यादव के बयान के बाद विपक्षी दलों ने भी सरकार और चुनाव आयोग पर हमला तेज कर दिया है। कांग्रेस और महागठबंधन नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार चुनाव को फ्री एंड फेयर न रखकर उसे फिक्स एंड फेवर बनाने में जुटी थी।