30 जनवरी को गुजरात के जामनगर से एक बड़ी और ऐतिहासिक घोषणा सामने आई, जिसने भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे को वैश्विक मानचित्र पर एक नई ऊंचाई पर पहुँचा दिया। टाटा समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने मिलकर जामनगर में एक 1 गीगावाट (GW) क्षमता वाले डेटा सेंटर की स्थापना की घोषणा की, जो बनते ही दुनिया का सबसे बड़ा डेटा सेंटर होगा। यह परियोजना न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाती है, बल्कि इसे वैश्विक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्लाउड कंप्यूटिंग और डिजिटल डेटा प्रोसेसिंग में अग्रणी बनाने की दिशा में निर्णायक कदम भी मानी जा रही है।
इस विशाल परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य भारत को AI और डिजिटल भंडारण के ग्लोबल हब के रूप में स्थापित करना है। यह डेटा सेंटर ग्रीन एनर्जी पर आधारित होगा, जिसमें सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाएगा, जिससे यह पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और टिकाऊ भी होगा। अंडरसी फाइबर केबल्स और अंतरिक्ष-आधारित संचार नेटवर्क के जरिए इसे न केवल भारत के शेष हिस्सों से, बल्कि विश्व के डेटा नेटवर्क से सीधे जोड़ा जाएगा। इस सेंटर में उच्च-गति वाले प्रोसेसिंग इंजन, इंटेलिजेंट सर्वर नेटवर्क, ब्लॉकचेन-सक्षम डेटा प्रोटेक्शन और एथिकल AI सेवाओं की बुनियाद रखी जाएगी।
आर्थिक दृष्टिकोण से, इस परियोजना से गुजरात में 30,000 से अधिक रोज़गार के अवसर पैदा होंगे। निर्माण, रख-रखाव, डेटा इंजीनियरिंग, साइबर सिक्योरिटी, इलेक्ट्रिकल ग्रिड सपोर्ट, और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट जैसी विभिन्न श्रेणियों में युवाओं को प्रशिक्षण व अवसर प्राप्त होंगे। राज्य सरकार ने पहले ही इस क्षेत्र को डिजिटल स्पेशल ज़ोन घोषित कर दिया है और परियोजना के लिए 300 एकड़ से अधिक भूमि आवंटित की जा चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इसे “गुजरात की डिजिटल क्रांति का केंद्रबिंदु” बताया है, जबकि नीति आयोग ने भी इस परियोजना को राष्ट्रीय प्राथमिकता के तहत दर्ज किया है।
तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि यह डेटा सेंटर भारत को अमेरिका, चीन और यूरोपीय यूनियन के समकक्ष खड़ा करने में अहम भूमिका निभाएगा। नोर्वे चेस विजेता मैग्नस कार्लसन की टिप्पणी “India’s future is very bright” जैसे कथन अब मात्र प्रशंसा नहीं, बल्कि तकनीकी और औद्योगिक तथ्यों में बदल रहे हैं। यह सेंटर डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार करने में नई ऊर्जा देगा, विशेषकर हेल्थटेक, एडुटेक, फिनटेक और गवर्नेंस के क्षेत्र में।
संक्षेप में कहें तो 30 जनवरी 2025 को घोषित यह डेटा सेंटर केवल एक तकनीकी परियोजना नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल संप्रभुता और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में उठाया गया ऐतिहासिक कदम है। जामनगर अब तेल और ऊर्जा के अलावा तकनीक और डेटा के लिए भी जाना जाएगा — एक ऐसा शहर, जहाँ भारत का डिजिटल भविष्य आकार लेगा और दुनिया उसका अनुसरण करेगी।