मुंबई 23 सितंबर 2025
कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार वोट चोरी और चुनावी गड़बड़ियों का मुद्दा उठा रहे हैं। इन सवालों पर हर बार बीजेपी तुरंत जवाब देती है, लेकिन जिस संस्था पर सबसे ज़्यादा जिम्मेदारी है—चुनाव आयोग—वह चुप्पी साधे रहता है। इसी खामोशी को लेकर एनसीपी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि आयोग की निष्पक्षता पर जनता का भरोसा घटता जा रहा है।
शरद पवार का कहना है कि राहुल गांधी ने जिन अनियमितताओं की ओर इशारा किया है, वे महज़ आरोप नहीं, गंभीर मुद्दे हैं। मतदाता सूचियों में मृत व्यक्तियों के नाम, डुप्लीकेट वोट और गलत पते जैसे मामले सामने आए हैं। बीजेपी इन्हें तुरंत झुठला देती है और राहुल गांधी पर हमला बोलती है, लेकिन चुनाव आयोग अगर इन पर कोई ठोस जांच नहीं करता तो जनता का विश्वास टूटना लाजमी है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर चुनाव आयोग इसी तरह मौन बना रहा तो देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भरोसा कमजोर होगा। “जनता हमेशा खामोश नहीं रहेगी। लोकतंत्र पारदर्शिता और जवाबदेही पर टिका है। यदि आयोग ही जवाब न दे, तो विश्वास किस पर किया जाए?” पवार ने कहा।
बीजेपी की ओर से राहुल गांधी के आरोपों को बार-बार झूठा और बेबुनियाद बताया गया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी चुनाव हार का ठीकरा संस्थाओं पर फोड़ना चाहते हैं। चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को शपथपत्र दाखिल करने या माफी मांगने का विकल्प दिया था। मगर विपक्ष का तर्क है कि आयोग को केवल नोटिस भेजने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, आरोपों पर खुली और पारदर्शी जांच करनी चाहिए।
यह विवाद अब सिर्फ राहुल गांधी और बीजेपी के बीच नहीं रहा, चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सीधा सवाल है। लोकतंत्र की आत्मा चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता में है, और यदि यही संदेह के घेरे में आए तो जनता का गुस्सा और असंतोष और बढ़ेगा।
हकीकत ये है कि बीजेपी चाहे जितना पलटवार करे, लेकिन जनता यह जानना चाहती है कि चुनाव आयोग क्यों चुप है। और राहुल के आरोपों की मिर्ची बीजेपी को क्यों लगती है। शरद पवार का बयान इसी चिंता को आवाज देता है कि अब पारदर्शिता और जवाबदेही बहस का नहीं, लोकतंत्र के अस्तित्व का सवाल बन चुकी है।