इंदौर 6 अक्टूबर 2025
शीतला माता बाजार में भाजपा नेता की विवादित टिप्पणी से बढ़ा तनाव
मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित शीतला माता बाजार में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब भाजपा नेता एकलव्य गौड़ ने मुस्लिम व्यापारियों को बाजार छोड़ने का अल्टीमेटम दे डाला। यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब बाजार में धार्मिक झंडे लगाने और सजावट को लेकर बहस हुई। इसी दौरान एकलव्य गौड़ ने कथित तौर पर कहा कि “जो लोग हमारी देवी-देवताओं की श्रद्धा नहीं रखते, उन्हें इस बाजार में दुकान नहीं रखनी चाहिए।”
उनके इस बयान ने न सिर्फ बाजार के माहौल को गरमा दिया बल्कि पूरे इंदौर शहर में तनाव की स्थिति पैदा कर दी। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह इलाका दशकों से सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल रहा है, लेकिन इस घटना ने उस पर दाग लगा दिया।
“हमारे ही देश में हमारा बहिष्कार कैसे?” — दुकानदारों की वेदना
शीतला माता बाजार में पीढ़ियों से दुकान चला रहे मुस्लिम व्यापारियों में गहरी नाराज़गी और असुरक्षा का माहौल है। कई व्यापारियों ने कहा कि वे वर्षों से इस इलाके में भाईचारे के साथ कारोबार कर रहे हैं, लेकिन अब उन्हें डर है कि कहीं धार्मिक माहौल के चलते उनका रोज़गार खतरे में न पड़ जाए।
एक वरिष्ठ व्यापारी ने कहा — “हम तो हर साल माता की आरती में शामिल होते हैं, लेकिन अब हमें कहा जा रहा है कि हम यहां के नहीं हैं। हमारे ही देश में हमारा बहिष्कार कैसे किया जा सकता है? क्या रोज़ी-रोटी भी अब धर्म देखकर मिलेगी?”
उनकी यह पीड़ा अब सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक मंचों तक गूंज रही है, और यह सवाल खड़ा कर रही है कि आखिर धर्म के नाम पर कारोबार में दखल देने का अधिकार किसे है?
विपक्ष का हमला — “भाजपा की नफरत अब मंदिरों से निकलकर बाजारों में पहुंच गई”
कांग्रेस, राजद और समाजवादी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस घटना पर भाजपा पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा — “यह घटना साबित करती है कि भाजपा नेताओं की राजनीति अब मंदिरों और मस्जिदों से निकलकर बाजारों तक पहुंच गई है। जब बाजारों में नफरत बोई जाएगी तो समाज कैसे बचेगा?”
राजद नेताओं ने मांग की है कि एकलव्य गौड़ पर तत्काल कार्रवाई हो, क्योंकि उनका बयान न सिर्फ असंवैधानिक है बल्कि सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने वाला भी है। कई सामाजिक संगठनों ने भी प्रशासन से अनुरोध किया है कि इस मामले को हल्के में न लिया जाए।
प्रशासन हरकत में, पुलिस तैनात — शांति बनाए रखने की अपील
तनाव फैलने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों के व्यापारियों से बातचीत की। अधिकारियों ने कहा कि किसी भी व्यापारी को धमकी नहीं दी जाएगी और व्यापार में किसी भी प्रकार की धार्मिक बाधा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रशासन ने बाजार में पुलिस बल तैनात कर दिया है और इलाके में शांति बहाल करने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि स्थानीय व्यापारी संगठनों का कहना है कि केवल पुलिस की मौजूदगी काफी नहीं है, जब तक नफरत फैलाने वाले लोगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती।
भाजपा की सफाई — “यह पार्टी की नीति नहीं”
विवाद बढ़ने के बाद भाजपा की प्रदेश इकाई ने बयान जारी कर कहा कि यह पार्टी का अधिकृत रुख नहीं है। प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा सबके साथ चलने और सबके विकास की पक्षधर है।
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा की यह सफाई “औपचारिक” और “देरी से आई प्रतिक्रिया” है। इससे पहले ही विपक्ष ने इस मुद्दे को जनता के बीच बड़ा सवाल बना दिया है — क्या भाजपा के कुछ नेता समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं?
जनता का सवाल — “शीतला माता सबकी हैं, बाजार भी सबका होना चाहिए”
इंदौर का शीतला माता बाजार हमेशा से धार्मिक आस्था और सामाजिक समरसता का प्रतीक माना जाता रहा है। यहां हिंदू और मुसलमान व्यापारी दशकों से मिल-जुलकर व्यापार करते आए हैं। स्थानीय युवाओं और समाजसेवियों ने इस विवाद पर कहा — “शीतला माता सबकी माता हैं। उनके नाम पर नफरत फैलाना खुद माता के आशीर्वाद का अपमान है। बाजार सबका है — यहां धर्म नहीं, मेहनत बिकती है।”
जब धर्म व्यापार में उतर आता है
शीतला माता बाजार का यह विवाद केवल एक स्थानीय घटना नहीं, बल्कि उस मानसिकता का आईना है जो धीरे-धीरे देश के हर कोने में जगह बना रही है — जहां धर्म के नाम पर रोज़गार, कारोबार और इंसानियत तक को तोला जाने लगा है।
देश की अर्थव्यवस्था को चलाने वाले ये छोटे बाजार जब सांप्रदायिक राजनीति की चपेट में आते हैं, तो नुकसान केवल किसी एक समुदाय का नहीं, पूरे भारत का होता है।
आज जरूरत है कि सभी राजनीतिक दल और प्रशासन इस बात को समझें — शीतला माता का आशीर्वाद केवल एक धर्म पर नहीं, बल्कि पूरे समाज पर समान रूप से है। और भारत की आत्मा भी इसी समानता में बसती है।