कोलकाता, 5 अगस्त 2025
पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। राज्य के नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के कद्दावर नेता सुवेंदु अधिकारी के काफिले पर कूचबिहार में हमला हुआ है, जिसे लेकर भाजपा ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
भाजपा का कहना है कि जब सुवेंदु अधिकारी कूचबिहार में एसपी को ज्ञापन सौंपने जा रहे थे, तभी रास्ते में TMC समर्थकों ने उनके काफिले को घेर लिया और काले झंडे दिखाए। कुछ अराजक तत्वों ने काफिले पर पथराव की भी कोशिश की। इस पूरी घटना का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें पुलिस मूकदर्शक बनी दिखाई दे रही है।
बीजेपी ने जताई नाराज़गी
बीजेपी प्रवक्ताओं ने कहा कि यह हमला सिर्फ सुवेंदु अधिकारी पर नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर हमला है। उनका आरोप है कि पुलिस की मौजूदगी के बावजूद हमलावरों को खुली छूट दी गई। “सुवेंदु अधिकारी को रोकने की यह कोशिश सीधे तौर पर अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है,” पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा।
SIR की मांग से तृणमूल में बेचैनी?
गौरतलब है कि सुवेंदु अधिकारी इन दिनों पश्चिम बंगाल में SIR (Special Intensive Revision) की मांग को लेकर काफी मुखर हैं। वह चाहते हैं कि बिहार की तर्ज पर पश्चिम बंगाल में भी मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण किया जाए ताकि फर्जी मतदाताओं को हटाया जा सके। सुवेंदु ने सिलीगुड़ी में कहा था, “बिहार सरकार ने चुनाव आयोग का पूरा सहयोग किया, लेकिन बंगाल में राज्य सरकार चुनाव आयोग के काम में बाधा बन रही है। यही कारण है कि यहां पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।”
बीजेपी नेताओं का कहना है कि TMC को यही बात रास नहीं आ रही और वह अब हमलों के ज़रिए विपक्ष की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है।
टीएमसी का पलटवार
हालांकि TMC ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा है कि बीजेपी नेताओं को जनविरोधी बयानबाज़ी और उकसावे से बचना चाहिए। पार्टी ने कहा कि काले झंडे दिखाना जनता का लोकतांत्रिक अधिकार है और सुवेंदु अधिकारी को ऐसे विरोध को स्वीकार करने की परिपक्वता दिखानी चाहिए।
राजनीतिक तापमान चढ़ा
घटना के बाद पश्चिम बंगाल की सियासत में हलचल तेज हो गई है। एक ओर जहां बीजेपी हमले को लेकर राज्यपाल और चुनाव आयोग से मिलने की तैयारी कर रही है, वहीं TMC इसे राजनीतिक नौटंकी बता रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से पहले यह घटना बंगाल की राजनीति को और गर्मा देगी। सुवेंदु अधिकारी पहले भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती देते रहे हैं और अब SIR जैसे संवेदनशील मुद्दे पर उनकी सक्रियता TMC के लिए नई चिंता बन सकती है।