“अब नौकरी ढूंढनी नहीं, नौकरी देनी है” – यह जुमला अब मुस्लिम युवाओं का नारा बन चुका है। देश में स्टार्टअप इंडिया मिशन और डिजिटल भारत अभियान के तहत जो नई कारोबारी क्रांति चल रही है, उसमें मुस्लिम युवाओं की भागीदारी पहले से कहीं अधिक तेज़, रचनात्मक और राष्ट्रनिर्माण केंद्रित दिख रही है। खासतौर पर बेंगलुरु, हैदराबाद और दिल्ली जैसे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन हब में मुस्लिम उद्यमियों ने AI, हेल्थटेक, फूडटेक, ई-कॉमर्स और एजुकेशन सेक्टर में कई ऐसे स्टार्टअप खड़े किए हैं, जिनका कारोबार भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी फैल रहा है।
‘जायका फूड्स’ – स्वाद में कारोबार की मिसाल, हैदराबाद से
हैदराबाद के शहबाज़ कुरैशी और नदीमा बानो नामक भाई-बहन की जोड़ी ने मिलकर एक लोकल ब्रांड ‘Zayka Foods’ शुरू किया था, जो पारंपरिक हैदराबादी बिरयानी, कबाब और मीठे को ऑनलाइन डिलीवर करता है। 2022 में शुरू हुई यह कंपनी अब 3 राज्यों में 70 हज़ार से ज़्यादा नियमित ग्राहक जोड़ चुकी है। Zayka Foods को हाल ही में एक यूके बेस्ड वेंचर कैपिटल फर्म से ₹6 करोड़ की फंडिंग मिली है। खास बात यह है कि इस कंपनी ने 80% महिलाओं को रोजगार दिया है – जिनमें से अधिकांश मुस्लिम महिलाएं हैं जो अब अपने घरों से आर्थिक रूप से जुड़ चुकी हैं।
‘हलालकार्ट’ – भरोसेमंद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, दिल्ली से शुरू
दिल्ली के जामिया नगर में रहने वाले मुर्तजा हसन ने 2023 में HalalKart.com नाम से एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस शुरू किया। इसका मकसद था कि शुद्ध, प्रमाणित हलाल उत्पादों – जैसे कॉस्मेटिक्स, फूड, मेडिसिन्स – को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाकर देशभर में मुस्लिम उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाए। इस प्लेटफॉर्म की खासियत यह है कि इसमें सभी उत्पादों को धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों आधारों पर जांचा जाता है। आज HalalKart की वेबसाइट पर 500+ प्रोडक्ट्स हैं, 150+ महिला विक्रेता जुड़ी हैं और हर महीने 1 लाख से ज्यादा ट्रांज़ैक्शन हो रहे हैं।
‘कोडसाला’ – मुस्लिम महिला कोडरों की पहचान, बेंगलुरु से
इंशा फातिमा और सारा रहमान ने मिलकर बेंगलुरु में CodeSaala नामक एक स्टार्टअप शुरू किया है, जो खास मुस्लिम और अन्य वंचित समुदायों की लड़कियों को कोडिंग और टेक्नोलॉजी सिखाता है। यह प्लेटफॉर्म ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों में कोर्स प्रदान करता है। अब तक इसने 2500+ लड़कियों को फ्री कोडिंग क्लासेज़ दी हैं, जिनमें से 400 को देश की बड़ी IT कंपनियों में प्लेसमेंट मिल चुका है। इन लड़कियों में कई हिजाबी छात्राएं हैं, जो अब लैपटॉप के साथ दुनिया से संवाद कर रही हैं।
मुस्लिम युवाओं में बढ़ती स्टार्टअप भावना – अब सोच बदली है
एक समय था जब मुस्लिम समाज को सिर्फ पारंपरिक रोजगार – जैसे दर्जी, लोहार, नाई या छोटा व्यापारी – तक सीमित माना जाता था। लेकिन अब नई पीढ़ी टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट, मार्केटिंग, डिजाइनिंग, डाटा साइंस, और हेल्थकेयर जैसे उभरते क्षेत्रों में खुद को सिद्ध कर रही है। कई मुस्लिम युवाओं ने स्टार्टअप्स को न सिर्फ कारोबार का जरिया, बल्कि समुदाय की बेहतरी और रोजगार का मिशन बना दिया है। अब वे केवल लाभ नहीं, लोगों की सेवा और रोजगार सृजन को अपना लक्ष्य मानते हैं।
सरकारी योजनाओं और गैर-सरकारी सहायता का मिला समर्थन
सरकार की Mudra Yojana, Startup India Mission, और MSME स्कीम का फायदा अब मुस्लिम उद्यमियों को भी मिलने लगा है। साथ ही IAMC (Indian Association of Muslim Commerce) और कुछ अन्य सामाजिक संगठनों ने इन नवोन्मेषकों को बिज़नेस ट्रेनिंग, डिजिटल मार्केटिंग वर्कशॉप्स, फंडिंग सलाह और नेटवर्किंग का अवसर भी दिया। इसके कारण वो मुस्लिम युवा जो पहले सिर्फ सरकारी नौकरी या परंपरागत रोजगार तक सीमित थे, अब नई सोच और आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रहे हैं।
नतीजा – एक नई अर्थव्यवस्था की शुरुवात
आज मुस्लिम समाज का यह नया कारोबारी चेहरा ‘उम्मीद और उद्यमिता’ की संयुक्त मिसाल है। ये युवा खुद के लिए नहीं, पूरे समाज के लिए सोच रहे हैं। वे रोजगार दे रहे हैं, महिला सशक्तिकरण कर रहे हैं, देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं और सबसे अहम – मुस्लिम पहचान को आत्मनिर्भरता, तकनीक और सामाजिक योगदान से जोड़ रहे हैं। यह बदलाव धीरे-धीरे नहीं, बहुत तेज़ी से हो रहा है – और यह बदलाव स्थायी, सजग और प्रेरक है।