लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (EC) पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि आयोग की कार्यप्रणाली अब लोकतंत्र को कमजोर करने लगी है। उन्होंने कहा कि जब चुनाव आयोग उनके बयानों पर हलफनामा मांगता है, तो यह केवल उनकी नहीं बल्कि पूरे देश की आवाज़ का अपमान है। राहुल गांधी ने अपने बयान में बेहद तल्ख़ लहजे में कहा— “पूरा देश की तरफ से हम आपसे हलफनामा माँगेंगे। आप जनता की अदालत में कटघरे में खड़े हैं।” इस टिप्पणी के साथ उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अब यह लड़ाई केवल उनकी व्यक्तिगत राजनीतिक जंग नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और मतदाता अधिकारों की रक्षा का प्रश्न बन गई है।
SIR प्रक्रिया को बताया ‘मत चोरी’ का नया रूप
राहुल गांधी ने बिहार में लागू की गई SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए और इसे वोट चोरी का नया हथकंडा करार दिया। उन्होंने कहा कि जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार विशेष पैकेज की घोषणा करते हैं, वैसे ही चुनाव आयोग ने बिहार को ‘स्पेशल पैकेज’ के नाम पर SIR थमा दिया है, जो दरअसल मतदाताओं को सूची से हटाने और चुनावी गणित को बिगाड़ने का एक षड्यंत्र है। राहुल का आरोप था कि इस प्रक्रिया के ज़रिए लाखों गरीब, अल्पसंख्यक और कमजोर वर्ग के वोटरों को लिस्ट से बाहर किया जा रहा है, ताकि भाजपा को चुनावी लाभ मिल सके। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इसे नहीं रोका गया तो लोकतंत्र की जड़ें हिल जाएँगी और भारत में मतदान का अधिकार सिर्फ कागज़ी औपचारिकता बनकर रह जाएगा।
भाजपा नेताओं पर क्यों नहीं कठोरता?
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से सीधे सवाल पूछा कि आखिर क्यों उनसे हलफनामा माँगा गया जबकि भाजपा नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने विशेष रूप से केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का नाम लेते हुए कहा कि भाजपा नेताओं ने भी चुनावी प्रक्रिया और आयोग पर सवाल उठाए थे, मगर उस वक्त न तो हलफनामा माँगा गया और न ही माफी की बात उठाई गई। राहुल ने इसे दोहरे मानदंड बताते हुए कहा कि आयोग भाजपा की कठपुतली की तरह काम कर रहा है और विपक्ष को दबाने के लिए सख्ती दिखा रहा है। उनके अनुसार, यह रवैया लोकतंत्र के लिए खतरनाक है क्योंकि इससे जनता का चुनाव आयोग पर भरोसा कमजोर होगा और निष्पक्ष चुनाव की गारंटी खतरे में पड़ जाएगी।
विपक्षी एकजुटता और राहुल की चेतावनी
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि INDIA गठबंधन इस मुद्दे पर पूरी तरह एकजुट है और अब चुनाव आयोग को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने जनता से अपील की कि वे अपने वोट की ताकत को समझें और मतदाता सूची में अपना नाम सुनिश्चित करें। राहुल ने कहा— “हमें थोड़ा समय दीजिए, हम हर विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र में आपकी चोरी पकड़ेंगे और जनता के सामने रखेंगे। जब INDIA ब्लॉक की सरकार बनेगी, तो चुनाव आयोग को जवाब देना पड़ेगा।” यह बयान दरअसल सीधी चेतावनी थी कि विपक्ष सत्ता में आते ही चुनाव आयोग की कार्यशैली की समीक्षा करेगा और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया और सियासी टकराव
मुख्य चुनाव आयुक्त ग्यानेश कुमार ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि वे सात दिनों के भीतर हलफनामा दें या फिर पूरे देश से माफी माँगें। आयोग ने कहा कि राहुल गांधी के आरोप न केवल संस्था की गरिमा को ठेस पहुँचाते हैं, बल्कि संवैधानिक ढांचे का भी अपमान करते हैं। EC ने दावा किया कि बिहार में SIR प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और कानूनी है। लेकिन राहुल और विपक्षी दल इसे मतदाताओं को डराने और लोकतांत्रिक अधिकार छीनने का औजार मानते हैं। इस तरह अब मामला महज़ तकनीकी विवाद से आगे बढ़कर संवैधानिक संकट और राजनीतिक टकराव का रूप ले चुका है।
लोकतंत्र और मतदाता अधिकारों की लड़ाई
इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ़ है कि देश में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और मतदाता अधिकार अब राजनीतिक विमर्श का सबसे बड़ा मुद्दा बन गए हैं। राहुल गांधी और विपक्ष इसे जनता के अधिकार छीनने की साजिश करार दे रहे हैं, जबकि चुनाव आयोग अपनी गरिमा और पारदर्शिता की रक्षा में खड़ा है। असल सवाल यह है कि क्या लोकतंत्र में किसी नेता को केवल सवाल उठाने पर हलफनामा देने या माफी माँगने के लिए बाध्य किया जा सकता है? और क्या SIR जैसी प्रक्रियाएँ सचमुच मतदाता सूची से नाम हटाकर सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुँचाने का साधन बन रही हैं? आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराएगा और संभव है कि यह 2025 के विधानसभा व लोकसभा चुनावों के प्रमुख मुद्दों में से एक बन जाए।
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