यरूशलम/ गाज़ा 14 अक्टूबर 2025
मध्य पूर्व में युद्ध की त्रासदी के बीच आखिरकार कुछ घरों में मुस्कुराहट लौट आई है। इज़रायल में उन परिवारों के चेहरों पर खुशी और राहत के आँसू हैं, जिनके अपने महीनों की क़ैद के बाद हमास के चंगुल से आज़ाद होकर लौटे हैं। दूसरी ओर, सैकड़ों फ़िलिस्तीनी बंदियों की रिहाई ने गाज़ा और वेस्ट बैंक में भी भावनात्मक माहौल पैदा कर दिया है।
तेल अवीव एयरबेस पर उतरे विमानों से जैसे ही बंधक बाहर आए, उनके परिजन चिल्ला उठे — “We never gave up!” (हमने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी)। बच्चों ने अपने माता-पिता को गले लगाया, बुजुर्ग माताओं ने अपने बेटों के माथे चूमे। यह दृश्य पूरी दुनिया को झकझोर गया — एक ऐसी जंग के बीच, जहां हर जीत किसी के दर्द से खरीदी जाती है।
उधर, रामल्ला और नाबलुस में रिहा हुए फ़िलिस्तीनी कैदियों का स्वागत नारों और आँसुओं के साथ किया गया। कई ने जेल से निकलते ही कहा, “हमें अपनी धरती पर आज़ादी की नई हवा महसूस हो रही है।”
विश्लेषकों का मानना है कि यह अदला-बदली शांति वार्ता की दिशा में पहला ठोस कदम हो सकती है, हालांकि इज़रायल और हमास दोनों पक्षों के बीच अब भी तनाव और अविश्वास गहरा है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि “बंधकों की रिहाई मानवता की जीत है, लेकिन युद्ध तब तक नहीं रुकेगा जब तक दोनों पक्ष समझौते की मेज़ पर नहीं बैठते।”
फिलहाल, इस सौदे ने जंग से थके दिलों को कुछ पल का सुकून तो दिया है —कहीं खुशी के आँसू हैं, तो कहीं उम्मीद की नई सुबह।