जनवरी 2025 में जब पूरा भारत गणतंत्र दिवस की तैयारियों में व्यस्त था, उसी समय कोलकाता की फ़िल्मी दुनिया सृजन, कला और परंपरा के उत्सव में रंगी हुई थी। 12 जनवरी 2025 को आयोजित 8वाँ ‘वेस्ट बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन‘ (WBFJA) अवॉर्ड्स समारोह न केवल बंगाली सिनेमा की शानदार उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक आत्मा और फिल्मी संवेदनाओं की अनूठी अभिव्यक्ति भी थी।
इस भव्य आयोजन में बंगाली सिनेमा के बेहतरीन कलाकारों, निर्देशकों और तकनीकी पेशेवरों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। समारोह में ‘मणिकबाबू मेघ’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार प्राप्त हुआ। यह फिल्म एक ऐसे दौर का प्रतिनिधित्व करती है जहाँ कलात्मकता और गहराई से भरी कहानी कहने की शैली को प्राथमिकता दी जा रही है। फिल्म की काव्यात्मक दृश्य योजना, चरित्रों की संवेदनशीलता, और संगीत की आत्मीयता ने दर्शकों और आलोचकों दोनों को प्रभावित किया।
इस वर्ष दीपालॉय भट्टाचार्य को उनकी प्रभावशाली और भावनात्मक अभिनय शैली के लिए विशेष रूप से सराहा गया, वहीं सरिजीत मुखर्जी ने निर्देशन की श्रेणी में अपनी अलग छाप छोड़ी। बंगाली सिनेमा की एक और विशेषता, उसकी सामाजिक और भावनात्मक संवेदनशीलता, इस पुरस्कार समारोह में पूरी गरिमा के साथ उभरी।
WBFJA पुरस्कार केवल एक फिल्मी समारोह नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक आन्दोलन जैसा लगता है, जहाँ बंगाल की रचनात्मक आत्मा को पहचान और प्रोत्साहन मिलता है। इस मंच पर युवा प्रतिभाओं के साथ-साथ अनुभवी फिल्मकारों को भी समान रूप से आदर मिलता है, जो इसे भारतीय सिनेमा के सबसे गंभीर और सम्मानजनक सम्मानों में शामिल करता है। आयोजकों ने इस बार के पुरस्कारों को पर्यावरण, समावेशिता और लोककला से जोड़ने का भी प्रयास किया, जो राज्य के व्यापक सामाजिक और सांस्कृतिक विमर्श को दर्शाता है।
इस समारोह ने पश्चिम बंगाल को न केवल एक सिनेमा-प्रेमी राज्य के रूप में प्रस्तुत किया, बल्कि यह भी बताया कि कैसे फिल्में समाज का दर्पण बनकर विचार, संवेदना और बदलाव की लौ जला सकती हैं। 12 जनवरी 2025 का यह दिन बंगाली फिल्म उद्योग के इतिहास में रचनात्मकता, प्रतिबद्धता और प्रेरणा का प्रतीक बन गया—जहाँ परंपरा और नवाचार का सुंदर संगम हुआ।