लेह 30 सितंबर 2025
लद्दाख में हालिया हिंसक घटनाओं और सुरक्षा बलों की कार्रवाई के बाद सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर उनकी पत्नी गीतांजलि जे. आंगमो ने केंद्र सरकार और अधिकारियों पर तीखा हमला बोला है। गीतांजलि ने आरोप लगाया कि उन पर लगाए गए कैद आरोपबोध — जैसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (ISI) से संबंध— पूरी तरह से निराधार हैं।
गीतांजलि ने प्रेस वार्ता में पूछा, “क्या अगर कोई क्लाइमेट सम्मेलन में शामिल होता है, तो उसे ISI एजेंट कहा जाना चाहिए?” उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर सरकार ने पहले वांगचुक को सम्मानित किया है और उनके काम की प्रशंसा की है, तो अचानक उन्हें देशद्रोही क्यों बताया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वांगचुक एक शांतिपूर्ण कार्यकर्ता हैं जिनका आंदोलन अहिंसा और संवैधानिक अधिकारों पर आधारित है। “सरकार उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है” — ऐसा गीतांजलि ने आरोप लगाया। सरकार और पुलिस ने वांगचुक पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि वे भड़काऊ भाषा का प्रयोग करते रहे हैं और उनके नेटवर्क में पाकिस्तान के व्यक्तियों से संपर्क रहा। गीतांजलि ने इन दावों को फर्जी करार दिया और कहा कि हमें स्पष्ट साक्ष्य दिखाएँ।
गीतांजलि का कहना है कि वांगचुक की गिरफ्तारी के समय उन्हें उचित गिरफ्तारी आदेश नहीं दिखाया गया और उनसे संपर्क करने की सुविधा से वंचित रखा गया। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई को राजनीतिक टुकसालीकरण करार दिया।
पुलिस का बयान है कि वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया क्योंकि उन पर “आंदोलन भड़काने” और “देशविरोधी” गतिविधि के आरोप हैं। अधिनियम संबंधी अधिकारी दावे कर रहे हैं कि एक पाकिस्तानी नागरिक को वांगचुक के संपर्कों में पकड़ा गया जो रणनीतिक दिशा-निर्देश भेजने वाला माना जाता है।
इस बीच, लोकल प्रशासन ने वांगचुक की NGO (Students’ Educational & Cultural Movement of Ladakh) का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया है। अधिकारियों ने उन पर विदेशी दान प्राप्ति नियमों का उल्लंघन करने के आरोप लगाए हैं।
वांगचुक को जोधपुर केंद्रीय जेल भेजा गया है, जो लद्दाख से 1000 किलोमीटर दूर है। यह जेल स्थानांतरण कुछ समर्थकों और कानून विशेषज्ञों द्वारा आलोचना का विषय बना है।
गीतांजलि ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई न केवल उनके परिवार पर असर डाल रही है, बल्कि पूरे लद्दाख आंदोलन पर भी। उन्होंने सरकार से मांग की है कि स्पष्ट साक्ष्य पेश करें और यदि आरोप झूठे हैं तो तुरंत मुक्त किया जाए।