तिरुवनंतपुरम, 13 अगस्त 2025
ऐतिहासिक जीत, लेकिन आरोपों से घिरी बीजेपी
केरल की राजनीतिक जमीन पर इस बार एक बड़ा बदलाव देखने को मिला, जब बीजेपी ने राज्य के इतिहास में पहली बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। यह जीत जहां बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए ऐतिहासिक और जश्न का कारण बनी, वहीं विपक्षी दलों – कांग्रेस और सीपीएम – के लिए यह संदेह और सवालों का मुद्दा बन गई। दोनों पार्टियों का आरोप है कि यह जीत ‘वोट चोरी’ और चुनावी प्रक्रिया में हेरफेर का नतीजा है, न कि जनता के समर्थन का।
कांग्रेस के आरोप: मतदाता सूची से छेड़छाड़ और ईवीएम में गड़बड़ी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के. सुधाकरन ने प्रेस वार्ता में कहा कि कई निर्वाचन क्षेत्रों में ईवीएम में दर्ज वोट और मतगणना के दौरान गिने गए वोटों में बड़ा अंतर पाया गया। उनका दावा है कि मतदाता सूचियों से हजारों नाम गायब कर दिए गए, जिससे विपक्षी वोटों की संख्या कम हो गई। सुधाकरन ने कहा, “यह जीत लोकतंत्र की हत्या है। पोस्टल बैलेट से लेकर बूथ कैप्चरिंग तक, हर स्तर पर बीजेपी ने चुनावी प्रक्रिया में सेंध लगाई।”
सीपीएम का आरोप: चुनाव आयोग और केंद्रीय एजेंसियों की मिलीभगत
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस मामले को ‘लोकतांत्रिक संकट’ करार देते हुए कहा कि बीजेपी ने केंद्रीय एजेंसियों और चुनाव आयोग के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर मतगणना प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया। विजयन ने चेतावनी दी, “अगर केरल में इस तरह का खेल खेला जा सकता है, तो यह पूरे देश में लोकतंत्र को खतरे में डालने का संकेत है।” उन्होंने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
बीजेपी का पलटवार: विपक्ष हार पचाने में असमर्थ
बीजेपी ने विपक्ष के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। पार्टी प्रवक्ता का कहना है कि केरल में जीत जनता की इच्छा और वर्षों की मेहनत का नतीजा है। “हमने बूथ स्तर पर मजबूत संगठन बनाया, लगातार जनसंपर्क किया और लोगों के मुद्दों पर काम किया। विपक्ष अपनी हार छिपाने के लिए निराधार आरोप लगा रहा है।”
पृष्ठभूमि: केरल का चुनावी इतिहास और बदलाव का संकेत
केरल में अब तक लोकसभा चुनाव कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों के बीच सीधी टक्कर का मैदान रहा है। 2019 में राज्य की 20 में से 19 सीटें कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ के पास और एक सीट एलडीएफ के पास गई थी। बीजेपी उस समय एक भी सीट जीतने में नाकाम रही थी, हालांकि वोट प्रतिशत में मामूली बढ़त मिली थी।
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने न केवल वोट शेयर में उल्लेखनीय वृद्धि की, बल्कि एक पारंपरिक वामपंथी गढ़ में जीत दर्ज कर राजनीतिक समीकरण बदल दिए। यही कारण है कि विपक्ष इस जीत को ‘अप्राकृतिक’ और ‘संदिग्ध’ मान रहा है।
राष्ट्रीय राजनीति में गूंज और भविष्य की संभावनाएं
‘वोट चोरी’ का यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब कांग्रेस पहले ही देशभर में इस मुद्दे पर तीन चरणों वाले बड़े आंदोलन की घोषणा कर चुकी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर केरल में चुनावी धांधली के आरोपों की जांच हुई और उसमें तथ्य मिले, तो यह मामला राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा तूफान ला सकता है। फिलहाल, बीजेपी अपनी जीत को वैध और जनसमर्थन का परिणाम बताने में जुटी है, जबकि विपक्ष इसे लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी बता रहा है। आने वाले हफ्तों में यह मुद्दा न केवल केरल विधानसभा, बल्कि संसद और सड़कों पर भी गूंज सकता है।