नई दिल्ली, 11 अगस्त 2025
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और पूर्व मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने मौजूदा मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर की चयन नीति पर अप्रत्यक्ष तौर पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि इंग्लैंड के खिलाफ अहम टेस्ट सीरीज से ठीक पहले विराट कोहली का अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेना एक बड़ी रणनीतिक चूक थी। वेंगसरकर ने स्पष्ट किया कि अगर वे चयन समिति में होते, तो कोहली को इस सीरीज के बाद ही रिटायरमेंट के लिए राज़ी करते, क्योंकि इंग्लैंड के हालात में उनकी क्लास, तकनीक और अनुभव की टीम को सख्त ज़रूरत थी।
वेंगसरकर ने याद दिलाया कि इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के नए चक्र की शुरुआत थी, ऐसे में किसी भी टीम के लिए यह दौरा बेहद अहम होता है। उनके अनुसार, विराट जैसे दिग्गज खिलाड़ी का इस मोर्चे पर मौजूद होना युवा खिलाड़ियों के लिए न केवल प्रेरणा का स्रोत बनता, बल्कि टीम को विपक्षी गेंदबाजों के सामने मानसिक बढ़त भी देता। उन्होंने कहा कि कोहली के अनुभव का लाभ इस कठिन दौरे में भारत को मिलना चाहिए था, क्योंकि इंग्लैंड की पिचों पर तकनीकी रूप से सशक्त बल्लेबाज का होना मैच का रुख बदल सकता है।
गौरतलब है कि विराट कोहली ने 12 मई 2025 को सोशल मीडिया पर टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था। यह फैसला उस समय आया जब इंग्लैंड दौरे की टीम घोषित होने में कुछ ही हफ्ते बचे थे। कोहली के साथ ही रोहित शर्मा ने भी टेस्ट क्रिकेट से अचानक विदाई ली, जिससे टीम की बल्लेबाजी लाइन-अप और लीडरशिप बैलेंस पर बड़ा असर पड़ा। वेंगसरकर ने कहा कि यह अचानक हुआ बदलाव चयन समिति की योजना और दीर्घकालिक दृष्टि पर सवाल खड़े करता है।
अजीत अगरकर ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि कोहली का संन्यास पहले से प्लान था और यह उनका व्यक्तिगत निर्णय था, लेकिन वेंगसरकर का मानना है कि चयनकर्ता का काम केवल खिलाड़ियों का चयन करना नहीं, बल्कि ऐसे मामलों में टीम के हित में सही समय पर निर्णय करवाना भी होता है। उन्होंने इंग्लैंड टूर को ‘मेक-या-ब्रेक’ स्थिति बताते हुए कहा कि अगर करियर का अंत इतने बड़े मंच पर होता, तो यह खिलाड़ी और देश दोनों के लिए अधिक संतोषजनक होता।
पूर्व कप्तान का यह बयान क्रिकेट जगत में बहस का कारण बन गया है। कई पूर्व खिलाड़ी व विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि चयनकर्ताओं को विराट जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को रणनीतिक रूप से संभालना चाहिए था। वहीं, कुछ का मानना है कि व्यक्तिगत फैसलों में दबाव डालना सही नहीं होता। लेकिन इतना तय है कि इस इंग्लैंड दौरे में विराट की अनुपस्थिति ने टीम के प्रदर्शन पर असर डाला है और यह चर्चा फिलहाल थमने वाली नहीं है।