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उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: सुदर्शन रेड्डी बनाम सी.पी. राधाकृष्णन, गठबंधनों की प्रतिष्ठा दांव पर

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नई दिल्ली 16 अगस्त 2025

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 का माहौल अब पूरी तरह गरम हो चुका है। विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक ने सोमवार को पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार घोषित कर राजनीतिक पटल पर बड़ा दांव खेला है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली में प्रेस वार्ता कर इस नाम का ऐलान करते हुए कहा कि सुदर्शन रेड्डी एक प्रगतिशील विचारक और न्यायप्रिय जुरिस्ट रहे हैं, जिनकी साफ-सुथरी छवि और निष्पक्ष पृष्ठभूमि विपक्ष के लिए एक मजबूत संदेश है। इससे INDIA ब्लॉक ने यह संकेत भी दिया है कि वह इस चुनाव को केवल सत्ता की लड़ाई के रूप में नहीं बल्कि संवैधानिक गरिमा और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के रूप में देख रहा है।

दूसरी ओर, एनडीए पहले ही अपने उम्मीदवार के तौर पर सी. पी. राधाकृष्णन के नाम का ऐलान कर चुका है। राधाकृष्णन एक अनुभवी राजनेता और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। वे लंबे समय से भाजपा और आरएसएस से जुड़े रहे हैं और अपनी सक्रिय राजनीतिक छवि, संगठनात्मक पकड़ और जनसंपर्क की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। एनडीए को विश्वास है कि संसद और विधानसभाओं में उनके गठबंधन की संख्यात्मक बढ़त इस चुनाव को उनके पक्ष में झुका देगी। इस लिहाज से यह मुकाबला केवल दो व्यक्तियों का नहीं बल्कि दो राजनीतिक रणनीतियों का भी प्रतीक बन गया है—एक तरफ राजनीतिक पृष्ठभूमि से आए अनुभवी नेता, और दूसरी तरफ न्यायपालिका से आए संवैधानिक मूल्यों के पैरोकार।

सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी की खासियत यह है कि वे सीधे राजनीति से नहीं जुड़े हैं। उन्होंने अपने करियर में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश रहते हुए कई महत्वपूर्ण फैसले दिए और न्यायिक स्वतंत्रता तथा सामाजिक न्याय की पैरवी की। आंध्र प्रदेश से आने वाले रेड्डी की उम्मीदवारी को विपक्ष ने दक्षिण भारत की आवाज़ को और मजबूत करने के कदम के रूप में भी प्रस्तुत किया है। इससे विपक्ष यह संदेश देना चाहता है कि वह क्षेत्रीय संतुलन और विविधता को महत्व देता है। वहीं, राधाकृष्णन की उम्मीदवारी तमिलनाडु की राजनीति से निकटता और भाजपा की दक्षिण भारत में पकड़ मजबूत करने की कोशिश का हिस्सा मानी जा रही है। इस लिहाज से यह चुनाव दक्षिण भारत के राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से भी बेहद अहम हो गया है।

संख्याओं के लिहाज से देखें तो एनडीए फिलहाल संसद में अपने बहुमत और सहयोगियों की मजबूती के आधार पर बढ़त में दिखाई दे रहा है। लेकिन INDIA ब्लॉक ने इस दांव के जरिये एक नैतिक और वैचारिक आधार पर मुकाबला खड़ा करने की कोशिश की है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह चुनाव केवल जीत-हार का खेल नहीं बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को मजबूत करने का अवसर है। उनका तर्क है कि संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति का पद संविधान की मर्यादा और निष्पक्षता का प्रतीक होता है, और ऐसे में एक गैर-राजनीतिक व्यक्तित्व का वहां होना पूरे लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत होगा।

इन दोनों उम्मीदवारों के बीच मुकाबला अब केवल वोटों तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि जनता और राजनीतिक वर्ग की सोच और दृष्टिकोण को भी उजागर करेगा। जहां एनडीए संगठनात्मक शक्ति और बहुमत का प्रदर्शन करेगा, वहीं INDIA ब्लॉक यह कोशिश करेगा कि सुदर्शन रेड्डी जैसे व्यक्तित्व की गरिमा पूरे चुनाव अभियान को एक नई दिशा दे। कुल मिलाकर उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 केवल एक संवैधानिक पद की लड़ाई नहीं, बल्कि भारत की राजनीतिक संस्कृति, लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक आदर्शों की कसौटी बनकर सामने आ रहा है।

 

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