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स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा, राष्ट्रपति को लिखे भावुक पत्र में जताया आभार

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नई दिल्ली, 21 जुलाई 2025

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने स्वास्थ्य और चिकित्सकीय सलाह का हवाला देते हुए त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंपा। धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। वे 74 वर्ष के हैं।

धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा, “सेहत को प्राथमिकता देने और डॉक्टर की सलाह को मानने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देता हूं।”

उन्होंने राष्ट्रपति को उनके अडिग सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के प्रति भी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। “प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। माननीय सांसदों से मिला स्नेह और अपनापन मेरे जीवन की स्मृति में सदा रहेगा।”

धनखड़ ने लिखा कि भारत की अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और वैश्विक विकास यात्रा का साक्षी बनना उनके लिए सम्मान और सौभाग्य की बात रही है।

बीते कुछ समय से स्वास्थ्य ठीक नहीं

25 जून को उत्तराखंड के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद धनखड़ को सीने में तेज दर्द की शिकायत हुई थी। उन्हें नैनीताल राजभवन में प्राथमिक उपचार दिया गया। इससे पहले 9 मार्च 2025 को भी उन्हें सीने में दर्द के बाद AIIMS दिल्ली में भर्ती कराया गया था।

उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल

धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। 6 अगस्त 2022 को हुए चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। उन्हें 528 वोट, जबकि अल्वा को 182 वोट मिले थे।

राज्यसभा के पदेन सभापति के तौर पर उन्होंने उच्च सदन की गरिमा बनाए रखने और जनप्रतिनिधियों के बीच संवाद को सशक्त करने में अहम भूमिका निभाई।

अब आगे क्या?

जब तक नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति नहीं होती, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति का दायित्व निभाएंगे। हालांकि उनका भी कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है, जिससे राज्यसभा में नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की संभावना है।

निजी जीवन और राजनीतिक पृष्ठभूमि

राजस्थान के झुंझुनू जिले में 18 मई 1951 को एक किसान परिवार में जन्मे धनखड़ ने सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ में पढ़ाई की। उनका NDA में चयन हुआ था, लेकिन उन्होंने वकालत का रास्ता चुना। जयपुर में रहकर राजस्थान विश्वविद्यालय से LLB करने के बाद उन्होंने वकालत शुरू की।

धनखड़ 1989 से 1991 तक झुंझुनू से लोकसभा सांसद रहे और उस दौरान वीपी सिंह व चंद्रशेखर सरकार में मंत्री भी बने। उन्हें 30 जुलाई 2019 को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था, जहां उन्होंने सख्त प्रशासक की छवि बनाई।

धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब देश राजनीतिक और संसदीय गतिविधियों के नए चरण की ओर बढ़ रहा है। उनका कार्यकाल भारतीय लोकतंत्र की समृद्ध परंपरा में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में याद किया जाएगा।

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